Sunday 5 October 2014

गंगा के किनारे खड़ी नाव में सभी यात्री बैठ चुके थे। बगल में ही युवक खड़ा था। नाविक ने उसे बुलाया, पर वह लड़का नहीं आया चूंकि उसके पास नाविक को उतराई देने के लिए पैसे नहीं थे, इसलिए वह नाव में नहीं बैठा और तैरकर घर पहुंचा। सच, सादगी, स्नेह, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा एवं निर्भीकता की मिसाल छः साल का एक लड़का अपने दोस्तों के साथ एक बगीचे में फूल तोड़ने के लिए घुस गया। उसके दोस्तों ने बहुत सारे फूल तोड़कर अपनी झोलियाँ भर लीं। वह लड़का सबसे छोटा और कमज़ोर होने के कारण सबसे पिछड़ गया। उसने पहला फूल तोड़ा ही था कि बगीचे का माली आ पहुँचा। दूसरे लड़के भागने में सफल हो गए लेकिन छोटा लड़का माली के हत्थे चढ़ गया। बहुत सारे फूलों के टूट जाने और दूसरे लड़कों के भाग जाने के कारण माली बहुत गुस्से में था। उसने अपना सारा क्रोध उस छः साल के बालक पर निकाला और उसे बहुत पीट। नन्हें बच्चे ने माली से कहा “आप मुझे इसलिए पीट रहे हैं क्योकि मेरे पिता नहीं हैं!”यह सुनकर माली का क्रोध खत्म हो गया, और वह बोला “बेटे, पिता के न होने पर तो तुम्हारी जिम्मेदारी और अधिक हो जाती है।”माली की मार खाने पर तो उस बच्चे ने एक आंसू भी नहीं बहाया था लेकिन यह सुनकर बच्चा बिलखकर रो पड़ा। यह बात उसके दिल में घर कर गई और उसने इसे जीवन भर नहीं भुलाया।

एक साधारण परिवार में जन्मे और विपदाओं से जूझते हुए सच, सादगी, और ईमानदारी के दम पर विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र देश के प्रधानमंत्री पद पर पहुंचने की अपने आपमें एक अनोखी मिसाल हैं- लाल बहादुर शास्त्री ‘जय जवान जय किसान’ जैसा जोशीला नारा देने वाले छोटे कद के शास्त्रीजी जनमानस के प्रेरणास्त्रोत रहे है। छोटी कद काठी में विशाल हृदय रखने वाले श्री शास्त्री के पास जहां अनसुलझी समस्याओं को आसानी से सुलझाने की विलक्षण क्षमता थी, वहीं अपनी खामियों को स्वीकारने का अदम्य साहस भी उनमें विद्यमान था। 64 में नेहरू के स्वर्गवास के बाद नेहरू के बिना भारत कैसा होगा के बीच देश के बहादुर लाल – लाल बहादुर शास्त्री ने कमान संभाली। उस समय देश का मनोबल टूटा हुआ था अकाल था भुकमरी थी। लेकिन शास्त्री जी की अदम्य इच्छा शक्ति भारत सम्हलने लगा। 17 साल का युवा भारत नए सपनें सजोने लगें। तभी 1965 में पाकिस्तान ने हमला कर दिया भारत को कब्जाने के लिए। तभी एक आवाज गूंजी ईट का जबाब पत्थर से देंगे और जय जवानो ने पाकिस्तान को हरा दिया। हम आजादी के बाद पहली लड़ाई जीते फिर ताशकंद में शान्ति वार्ता हुई। क्या हुआ क्या नहीं लेकिन हमने युद्ध तो जीत लिया लेकिन देश का बहादुर लाल अपना लाल बहादुर खो दिया।


      जीत गया अयूब, शास्त्री की अर्थी को कंधे पर ढोकर।
                                   मारा गया शिवाजी, अफजल की चोटों से घायल होकर।
                                   वह सब क्षेत्र ले लिया केवल जोर शोर से मेज बजाकर।
                                   पाकिस्तानी सेनायें थी नहीं ले सकी शस्त्र सजाकर।
                                   स्वाहा करे उपासक का घर हमें न ऐसा हवन चाहिए।
                                   तासकंद में प्राण खींच ले, हमें न ऐसी संधि चाहिए।



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