Monday 25 August 2014

लव जिहाद एक ऐसा नाम जिससे सारे फेसबुकिए घबरा गए है। कि मुस्लिम लडके हिन्दु लडकियों को प्यार में फुसलाकर धर्म परिवर्तन करवा देते है। इसमें कहीं प्यार भी होता है, या फिर सब कुछ सुनियोजित रणनीति का हिस्सा क्योंकि लव और जिहाद दोनों विरोधाभासी हैं। लव कभी जिहाद नहीं हो सकता और जिहाद कभी लव नहीं हो सकता है। इन सवाल को लेकर आज कल पूरे देश में बहस छिड़ी हुई है। लव जिहाद दो बेहद गंभीर शब्द है और इसको कायदे से समझने की जरूरत है। जिसने इसका गूढ़ अर्थ समझ लिया उसके लिए यह अमृत और जिसने नहीं समझा उसके लिए जहर। लव जिहाद दो शब्दों से मिलकर बना है। अंग्रेजी के शब्द 'लव' यानि प्यार, इसके लिए किसी परिभाषा की जरूरत नहीं है। यह एक गहरा और खुशनुमा एहसास है। वहीं, 'जिहाद' शब्द का जन्म इस्लाम के साथ ही हो गया था। यह अरबी भाषा का शब्द है। इस्लाम के जानकारों के मुताबिक़ किसी मकसद को पूरा करने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा देना और जी जान से कोशिश करने को अरबी में 'जिहाद' कहते हैं।

लेकिन कट्टरपंथियों और धार्मिक मूलवादियों के अभियान का हिस्सा बनकर जिहाद अपना असली अर्थ खोते जा रहा है। आज यह अपनी आंतरिक बुराइयों पर जीत हासिल करने वाले अर्थ को गंवाते जा रहे है। यहां जिहाद का मतलब है धर्म की रक्षा के लिए लड़ा जाने वाला युद्ध जो की गैर मुश्लिमो के खिलाफ लड़ा जाता है। उन्हें मुश्लिम धर्म मनवाने के लिए स्वेक्षा से मान गए तो ठीक अन्यथा साम दाम दंड भेद की निति अपना कर इसलिए हिंदुस्तान में इसे अलग रूप दे कर लव जिहाद किया जाता है हमारे यहां पहले भोली भली लडकियो को अपने प्रेम जाल में फसाया जाता है फिर उससे विवाह कर धर्मान्तरित करवया जाता है।

मगर लव-जिहाद के बाद जो कुछ होगा या हो सकता है उसकी कल्पना तो कीजिए। मुस्लिम लड़के का ससुराल हिन्दू के घर में होगा और पत्नी की तरफ के सारे रिश्तेदार भी हिन्दू होंगे। थोड़ी देर के लिए लड़की को यदि मुसलमान बना भी दिया जाता है तो जो बच्चे पैदा होंगे क्या वे जिहादी मानसिकता के हो सकते हैं? बच्चे के चाचा, ताऊ, दादा-दादी मुस्लिम होंगे और वहीं मामा, मामी, मौसी, नाना-नानी, ममेरे-मौसेरे भाई हिन्दू। क्या ऐसा बच्चा किसी भी समुदाय से नफरत कर सकता है? मुझे तो नहीं लगता इससे हमारे समाज में एक नए अध्याय की शुरूआत होगी।

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