Sunday 30 June 2013

मेरठ,  2 7 जून । सुरेन्द्र प्रताप सिंह पत्रकारिता के एक  ऐसे महानायक थे जिनके द्वारा बोला गया एक वाक्य----' तो ये थी खबरें आज तक, इन्तजार कीजिए कल तक' आज भी लोगों के जहन में जस का तस बना हुआ है। एसपी यानी सुरेन्द्र प्रताप सिंह पत्रकारिता के एक ऐसे सुपर स्टार थे  जिन्होंने  एक पूरी  पीढ़ी का निर्माण किया। वे ऐसे संपादक थे, जिन्होनें संपादकीय गरिमा  का बखूबी  निर्बहन  तो किया ही,  साथ ही साथ प्रबंधन को सत्साहस के साथ अहसास कराया कि  असली पोडक्ट खबर है। पत्रकारिता के सभी  दिग्गज   और हमारे शिक्षकगण यह  हैं कि दूरदर्शन पर सरकारी सैंसरशिप के बावजूद एसपी ने जनसरोकारों और खबर की हद तक खूबसूरती से लोगों तक पहुंचाते रहे।
प्रख्यात पत्रकार सुरेंद्र प्रताप सिंह यानि एसपी सिंह की पुण्य तिथि के अवसर पर स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय के सुभारती इंस्टीट्यूट ऑफ  जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन में मीडिया छात्रों ने 'संवेदना' के बैनर तले 'आज की टीवी पत्रकारिता और एसपी सिंह’ पर चर्चा कर उन्हें याद किया गया। उनके योगदानों को याद किया गया ।




                                                     चर्चा  के दौरान उपस्थित छात्र/छात्राएं एवं शिक्षकगण


वरिष्ठ पत्रकार एवं  रचनाकार तहसीन मुनव्वर ने कहा कि ‘‘आज हिंदी पत्रकारिता जिस मुकाम पर है उसमें एसपी सिंह के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। लेकिन अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि हिंदी पत्रकारिता अपना अस्तित्व खोते जा रही है। आज की हिंदी पत्रकारिता को पहले से ज्यादा एसपी की जरूरत है।’’
 टीवी पत्रकार प्रभात शुंगलू ने कहा कि ’’एसपी सिंह ने ढाई दशक की पत्रकारिता में हिंदी पत्रकारिता को नए तेवर, नए आयाम दिए साथ ही हिंदी पत्रकारिता की दिशा और दशा   बदल दी। अब न तो वैसे पत्रकार बचें हैं और न ही वैसी पत्रकारिता।’’
वरिष्ठ पत्रकार सुनील छइयां ने कहा कि ’’ राजनीतिक, सामाजिक हलचलों के असर का सटीक अंदाजा लगाना और सरल भाषा में उसका खुलासा कर देना उनका स्टाईल था। ''


 चर्चा में आए वरिष्ठ पत्रकार  तहसीन मुनव्वर (दायें से दुसरे ), टीवी पत्रकार प्रभात शुंगलू (बाएँ से तीसरे ) के साथ  निदेशक नीरज शर्मा(बीच में ), विभागाध्यक्ष पीके पांडेय, प्रवक्ता शिप्रा त्रिपाठी, दीपा पार्चा, शशांक शर्मा................!



सुभारती मास कम्युनिकेशन के निदेशक नीरज शर्मा ने कहा कि ’’एसपी सिंह ने 'आज तक' नाम से एक कार्यक्रम की शुरूआत की जो दूरदर्शन पर आया करता था। एसपी सिंह दूरदर्शिता, सृजनात्मकता की नींव पर रखा यह कार्यक्रम समय बदलने के साथ-साथ केवल एक कार्यक्रम न रहकर पूरा न्यूज चैनल बन गया जिसे हम आज तक के नाम से जानते हैं। यदि एसपी सिंह को आज तक का पर्याय कहा जाए तो गलत नहीं।
 मास कम्युनिकेशन के एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष पीके पांडेय ने कहा कि ’’एसपी सिंह ने कम समय में ही विजन, नेतृत्व क्षमता और सरोकारों  के बल पर स्टारडम हासिल किया।  वे हमारे गुरुर थे। 'रविवार' और 'दिनमान' में उनकी दृष्टि की झलक पत्रकारिता के छात्रों और हम सभी के लिए आज भी मार्गदर्शक है। उन्होंने  खोजी पत्रकारिता और स्पॉट  रिपोर्टिग से हिन्दी पत्रकारिता को नया धार , स्वर  और विस्तार दिया।’’ इस मौके पर मास कम्युनिकेशन की  प्रवक्ता शिप्रा त्रिपाठी, दीपा पार्चा, शशांक शर्मा के साथ संकाय के सभी छात्र/छात्राएं उपस्थित रहे।     

Tuesday 25 June 2013



 मेरठ। सुभारती का अर्थ है सुंदर भारती। भारतीयता के मर्म की सुंदर कल्पना ! संकल्पना -- एक ऐसे स्वप्नदर्शी व्यक्तित्व की जो सामाजिकता, सरोकारों और राष्ट्रीयता को जीवन ध्येय बनाकर चला। किशोर वय में ही आंखों में एक चमकदार, सुनहरे मानवीय सपने लिए (डा.) अतुल कृष्ण ने सुभारती आंदोलन की नींव रखी। कुछ नया रचने की चाहत ..! समाज के दुःख-दर्द में हमेशा भागीदारी और मददगार हाथ लिए ... अनेक शैक्षिक, सांस्कृतिक सपनों को उन्होंने जीवन मर्म बना लिया। एक चिकित्सक ,  कुशल सर्जन --समाज की चिंता में ...जीवन को बेहतर और सुन्दर बनाने में समर्पित हो गया ! सामाजिकता और जीवन  के प्रति अथाह सरोकार उनकी स्वप्नदर्शिता है ।
भारतीयता की सुन्दर कल्पना है सुभारती ।


                                            डॉ अतुल कृष्ण , संस्थापक , सुभारती आन्दोलन


शहर की अशांति में दुखियारों के लिए अपनी टीम के साथ विद्यार्थी जीवन में ही बिना किसी परवाह के जूझ पड़ने वाले डॉ अतुल ने हमेशा समाज की जरूरत में यथासंभव मदद के लिए आगे बढ़कर कार्य किया । यह सिलसिला करीब तीन -चार दशकों से जारी है ....।
इसी कड़ी में केदारनाथ में प्रकृति की भीषण चुनौती और आपदा में भी सुभारती परिवार आगे बढ़कर आया। सुभारती विश्वविद्यालय के गुरु तेगबहादुर सभागार में आयोजित एक आपात सभा में आपदा में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गई तथा भीषण आपदा में फंसे लोगों की सहायता और बीमारों की चिकित्सा के लिए भी सुभारती की ओर से समुचित व्यवस्था की पहल की गई।  प्रभावित लोगों की मदद के लिए सुभारती परिवार के समस्त स्टाफ ने एक दिन का वेतन उत्तराखंड 'मुख्यमंत्री राहत कोष' में देने की घोषणा की, जिसमें 12 लाख का चेक सुभारती के.के.बी. चैरिटेबल ट्रस्ट की अध्यक्षा डा. शल्या राज को इस वास्ते सौंपा गया कि वे उसे मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड को पहुँचा सके । सभा में वक्ताओं ने उत्तराखंड की आपदा को अत्यंत भीषण और दुखदायी बताते हुए कहा कि आज उन्हें हर स्तर पर मदद की जरूरत है जिसमें हम सभी अपने स्तर से हाथ बंटा सकते हैं।
            सुभारती के के बी चैरिटेबल ट्रस्ट की अध्यक्षा डा0 शल्या राज ने इस आपदा से प्रभावित लोगों की हर संभव मदद की घोषणा करते हुए कहा कि सुभारती की ओर से चिकित्सकों की एक टीम तत्काल उत्तराखंड जाएगी और जो लोग बीमार हैं , असहाय हैं उनको समुचित चिकित्सा प्रदान करेगी। सुभारती इस विपदा की घड़ी में लोगों के साथ है । 
                               डॉ शल्या राज,  अध्यक्षा , सुभारती केकेबी चैरिटेबल ट्रस्ट

 वहीं सुभारती आन्दोलन के संस्थापक डा. अतुल कृष्ण ने सुभारती परिवार के सभी सदस्यों से एक दिन का वेतन राहत कोष में देने का प्रस्ताव रखा जिसका विश्वविद्यालय परिवार ने समर्थन किया। सभा में ही उन्होंने 15 डाक्टरों की टीम भेजने, पोस्टमार्टम के लिए सुप्रशिक्षित डाक्टरों की टीम भेजने तथा आपदा में प्रभावित बीमार लोगों के इलाज के लिए सुभारती अस्पताल में निःशुल्क इलाज करने और पार्थिव शरीर को सुरक्षित रखने का प्रस्ताव रखा। जिसे सुभारती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 मंजूर अहमद एवं सुभारती मेडिकल काWलिज के प्राचार्य डा00के0 अस्थाना ने स्वीकार कर लिया। डा0 अतुल ने उत्तराखंड से मिली जानकारियों के आधार पर बताया कि वास्तव में वहां के हालात बहुत खराब हैं जिसमें मदद अति आवश्यक है और इसमें हर किसी को हाथ बंटाना चाहिए। राष्ट्र के हर नागरिक को विपति की इस वेला में हर संभव मदद की कोशिश करनी चाहिए । 
           वित्त सलाहकार राजेश मिश्र एवं प्रबंधक रश्मिकांत डॉ शल्या को चेक सौपते हुए ..।

स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मंजूर अहमद ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तराखंड में आई दैवीय आपदा सच में अत्यंत विस्मयकारी और कष्टदायक है। आज इस आपदा से प्रभावित लोगों को मदद की जरूरत है और यह हम सभी देशवासियों का कर्तव्य  है कि इस नाजुक मौके पर हम उनकी सहायता के लिए आगे आएं। 

                                          कुलपति, प्रोफेसर मंजूर अहमद     
                                           


सुभारती इंस्टीट्यूसंस की संस्थापक डा0 मुक्ति भटनागर ने कहा कि यह दैवीय आपदा प्रकृति की ओर से हम सभी को चेतावनी है कि अब वक्त आ गया  है कि हम प्रकृति के साथ खिलवाड न करें। पृथ्वी और सृष्टि पर सभी जीवों का उतना ही अधिकार है जितना हम सभी का है । ...कौन जाने पृथ्वी के बारे में हमसे कही अधिक चिंतित रहती हों चीटियाँ ...। उन्होंने कहा कि वक्त आ गया कि अंधाधुंध विकास के बारे में हम पुनर्विचार करें ।

                                      सुभारती प्रतिष्ठानों की संस्थापक डॉ मुक्ति भटनागर 





                         सभागार का एक दृश्य



सभा के अंत में डेढ मिनट का मौन रखा गया तथा शांति पाठ करके मृतात्माओं की शांति की प्रार्थना की गई। सभा में सुभारती विश्वविद्यालय के समस्त कालेजों के प्राचार्यडीन , निदेशक , विभागाध्यक्षों ने भाग लिया। सभा का संचालन संस्कृति विभाग के अध्यक्ष डा देशराज ने किया । 

             ---प्रमोद कुमार , साथ में गौतम सिंह

Thursday 6 June 2013

                        

मेरठ ,३0 मई , स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय के वेलू नाचियार सुभारती पत्रकारिता एवं जन संचार संकाय’  में हिंदी पत्रकारिता दिवस (30 मई) पर हिन्दी पत्रकारिता के उद्भव एवं विका तथा चुनौतियों एवं सरोकारों पर व्यापक विमर्श हुआ। ज्ञातव्य हो कि 30 मई , 1826 को कानपुर निवासी पं0 युगल किशोर शुक्ल ने कलकत्ता से उद्न्त मार्तण्डनिकालकर भारतीयों को आधुनिकता से परिचित कराने तथा उनमें राष्ट्रीयता की भावना को जागृत करने में महान योगदान दिया। उदंत मार्तंड के 79 अंक निकले । 4 दिसंबर, 1927 को यह बंद हो गया । कहें तो सूर्यास्त हो गया ।  स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग कालेज के मदन मोहन मालवीय प्रेक्षागृह में हिंदी पत्रकारिता की पुण्य स्मृति के अवसर पर  हिन्दी पत्रकारिताः चुनौतियां एवं सरोकारविषयक संगोष्ठी आयोजित की गई।
अनेक वरिष्ठ पत्रकारों, मीडिया समालोचकोंअध्येताओं तथा मीडिया छात्र-छात्राओं की मजबूत उपस्थिति में पत्रकारिता की चुनौतियों एवं सरोकारों पर प्रकाश डाला गया। बहस-तलब चर्चा की गई । संगोष्ठी में विषय प्रवर्तन करते हुए दैनिक प्रभात, मेरठ  के संपादक सुनील छईंया ने कहा कि पत्रकारिता एक जल की तरह है जिसमें भी जाता है उसी आकार में ढल जाता है। पत्रकारों को सरोकारों को लेकर ही आगे रास्ता अख्तियार करना होगा। 
वहीं मुख्य वक्ता के रूप में आए जनसत्ता के वरिष्ठ पत्रकार अनिल बंसल ने अपने वक्तव्य में कहा कि हमें यह खुद तय करना होगा कि हमारी असली जबाबदेही जनता के प्रति है,  नेताओं के प्रति नहीं। हमें अपने उपर प्रतिशोध की भावना हावी नहीं होने देना चाहिए। विश्वसनीयता हमारी सबसे बडी संपति है , कसौटी है ।
 दिल्ली से आए वरिष्ठ पत्रकार पारस अमरोही ने कहा कि हमें लोभी नहीं होना चाहिए । कयोंकि  जहां लोभ होगा , वहां सरोकार नहीं होगा । पत्रकारिता के सामने तब सवाल आते हैंजब पत्रकारिता सवाल करना बंद कर देती है । पत्रकारिता में हम दोस्त जनता के है,  न की किसी सत्ता वालों की । 
 मुख्य अतिथि दिल्ली से पधारे वरिष्ठ पत्रकार तहसीन मुनव्वर ने बताया कि आज बाजार का दौर है, और पत्रकार बाजार का सताया हुआ है । आज सोशल मीडिया के कारण हम हर उस खबरों को आम जनता तक पहुंचा देते हैं जो हम बाजार के कारण नहीं पहुँचा पाते हैं । पत्रकारिता का स्वरूप विस्तारित हुआ है। चेहरा बदला है। ऐसे मंे पत्रकारों और पत्रकारिता को समाज और संस्कृति को दिशा देनी होगी।
पत्रकारिता संकाय के विभागाध्यक्ष पी.के.पांडेय ने कहा कि हिंदी समाचार पत्रों को अपूर्णता से मुक्त होना होगा। अच्छी पत्रकारिता भी बिक सकती है , बिकती है । हिंदी पत्रकारिता को हिंदी भाषी क्षेत्रों के बौद्धिक पिछडेपन को दूर करना चाहिए । बौद्धिक-सांस्कृतिक पर्यावरण को उन्नत करने का प्रयास करना चाहिए । उन्होंने कहा कि भारतेंदु , महावीर प्रसाद द्विेदी , राजेंद्र माथुर , प्रभाष जोशी को न सुनना चाहें तो न सुनिए लेकिन अपने आदर्शमर्डोक को तो सुन लीजिए जिनके बारे में कहा जाता है कि एक दशक पहले तक भारतीय मीडिया मालिक उनके पीए तक ही पहुंच पाए थे ! तो ऐसे घनघोर प्रोफेशनल , मुनाफावाले  मीडिया अधिपति रूपर्ट मर्डोक भी कहते हैं कि जब तक हम जनसेवा के सिद्धांत पर वापस न लौटें , तो हम चैथा खंभा कहलाने का अधिकार खो देंगे ।
पत्रकारिता के छात्र गौतम कुमार सिंह ने कहा कि 186 साल पहले उदन्त मार्तण्ड यानि कि समाचार सूर्य निकालकर कठिन साधनहीनता के दौर में शुक्ल जी ने हमारी चेतना को जागृत किया और बौद्धिक विस्तार दिया। छात्र अमित कुमार ने कहा कि हमें हिंदी पत्रकारिता की महान विरासत और गौरवमयी परंपरा को आत्मसात करना होगा।
कार्यक्रम के अध्यक्ष स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मंजूर अहमद ने अपने वक्तव्य में कहा कि पत्रकार और पत्रकारिता आज-कल मुसीबत में है। बाजार और मुनाफा एक बड़ा मसला है।  उन्होंने कहा कि लखनऊ से हिन्दी में 2300 अखबार पंजीकृत हैं पर बाजार में मुश्किल से आठ-दस अखबार ही छपते हैं । बाकी सरकारी’  अखबार हैं जो सिर्फ सरकार से विज्ञापन लेने के लिए छपते हैं ! सरोकार ही पत्रकारिता को बचाएगा ।
 कार्यक्रम में आए मुख्य अतिथि तहसीन मुनव्वर,   मुख्य वक्ता अनिल बंसल,  पारस अमरोही तथा अध्यक्ष प्रो. मंजूर अहमद को पत्रकारिता एवं जनसंचार संकाय के निदेशक नीरज शर्मा ने पुष्प-गुच्छ भेंट कर स्वागत किया तथा विषय की प्रस्तावना रखी । उन्होंने कहा कि सच  और विश्वसनीयता की जमीन पर दृढ़ रहकर ही हिंदी पत्रकारिता वर्तमान चुनौतियों से पार पा सकती है।
 कार्यक्रम का कुशल संचालन बीजेएमसी प्रथम वर्ष के छात्र अनम खान शरवानी तथा आभार प्रकाश नीरज शर्मा ने किया। संकाय के  सुमन मिश्रा,  शिखा धामा,   दीपा पार्चा, शशांक शर्मा आदि मौजूद रहे

                                              
                                                           और कैमरे में ....


                                        तहसीन मुनव्वर बोलते हुए ....
 
तहसीन मुनव्वर का स्वागत करते नीरज शर्मा
                                       
                                         सभागार का एक दृश्य

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