Sunday 14 June 2020

Posted by Gautam singh Posted on 10:07 | No comments

वह बहुत जल्दी में था!

इमोशन्स से भरा व्यक्ति अब पत्थर के पुतले में बदलता जा रहा है। कृतिम जीवन और मशीनी संगत में रहकर इंसान की रंगत ही बदल रही है। संवेदनहीनता के जूते पहन कर जिन्दगी की इस रेस में वह इस तरह दौड़ रहा होता है  जिसका उसे न अंत पता है और ना की कारण बस उस रेस में सबकुछ झोख  उसी में  खो जाता है कि वह भूल चूका होता है वह एक इमोशन्स से भरा व्यक्ति है।  अपने सपनों के पिछे ऐसे लग जाता है जैसे उसका सपना ही सबकुछ हो... और जब वह अपने सपनों को पा लेता है तो  एकाएक उसे एहसास होता है उसके आस पास कोई अपना नहीं है उसके इस सपने को जीने के लिए। वहां वह नितंत अकेला खड़ा है। सबकुछ जल्दी-जल्दी के चक्कर में बहुत जल्दी कर कर जाता है। इतना जल्दी कि उसे पता ही नहीं होता वह जिन्दगी के इस रेस को हारने वाला है। 

आज सुशांत सिंह राजपुत ने आत्महत्या कर ली यह आत्महत्या मुझे मेरे दोस्त की याद दिला गया,  दोना की कहानी लगभग मिलती जुलती है। उसे भी इंजीनियर बनना था और इसे भी दोनों को अपने जिन्दगी में सबकुछ जल्दी-जल्दी करना था जो दोनों किया दोनों ने जो चाहा वह पाया.. सुशांत सब कुछ पा लिया था उसने बहुत कम उम्र में जो भी सपने देखे उसे हकीकत में पूरा किया चाहे वह इंजिनीयर बनने का सपना हो या फिर अभिनेता... सब कुछ उसने जल्दबाजी में किया इंजीयरिंग में उन्होंने ऑलऑवर इंडिया में 7वीं रेंक ला कर इंजीनियरिंग कॉलेज में दिखाला लिया पर बहुत जल्द ही उनका मोह इंजीनियरिंग से भंग हो गया वह अभिनय के क्षेत्र में जाना चाहने लगे और इंजीनियरिंग छोड़ दी। वह जल्दी-जल्दी अपने सपनों को पूरा करने में लग गये टीवी में बेहतरीन अभिनय के बाद वह फिल्मों की ओर रुख किया और वहां भी बहुत जल्द अपना एक अलग पहचान बना लिया। उसने जो सपनें देखे थे उसे पा लिया और उसे जी रहा था। 

ठीक वैसे ही मेरा दोस्त था उसे भी बहुत जल्दी पड़ी थी।  12वीं करते ही आईआईटी निकाल लिया आईआईटी  में एडमिशन लिया वहां भी वह अपने क्लास में अव्वल रहा करता था। उसका सपना ही था आईआईटी इंजिनीयर बनना वह अपने सपने को जी रहा था,  दो साल बीत गए थे, इंजिनीयरिंग कॉलेज में सबकुछ अच्छा चल रहा था दो साल की और बात थी वह अपने सपनों  को हकीकत में बदल देता पर उसे बहुत जल्दी पड़ी थी। उसी जल्दी बाजी में उसे अपने क्लासमेंट से प्यार हो गया। वह प्यार को जी रहा था। लेकिन प्यार परवान चढ़ न सका और वह डिप्रेसन में चला गया और एक दिन खबर आई की उसने आत्महत्या कर ली। दोनों एक से थे दोनों ने जो चाहा वो पाया पर बाहर से दिलेर दिखने वाला व्यक्ति अंदर से खोखला पड़ा था। इतना खोखला की जल्दी-जल्दी के चक्कर में जिन्दगी के रेस भी जल्दी पूरा कर गया। जब-जब कोई आत्महत्या करना है तब-तब केवल मृतक नहीं वो सोसायटी भी हारती है जिसमें वह रहता है।