Wednesday 14 February 2018

Posted by Gautam singh Posted on 07:14 | No comments

कनखी के दिवाने!

इन दिनों प्रिया प्रकाश वारियर की एक कनखी ने सोशल मीडिया पर धूम मचा रखा है। फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम पर इस एक कनखी से पूरा हिन्दुस्तान हिल गया है। न्यूज चैलन से लेकर न्यूज पेपर तक सिर्फ प्रिया प्रकाश के ही चर्चे में लगे हुए है। लोग उसके कनखी के कायल हो रहे है तो वहीं इंटरनेट उसके कनखी से पिघलने लगा है, बॉलीवुड हिलने लगा है। दीपिका, प्रियंका, कंगना से लेकर कैटरीना तक की अदाएं पानी भरने चली गई है। सारा देस बस प्रिया प्रकाश वारियर की कनखी के 'प्रकाश' में नहा रहा है। इंटरनेट पर बस प्रकाश की ही 'प्रकाश' है। सोशल साइट पर प्रिया प्रकाश वारियर ऐसे 'प्रकाश' फैलायी हुई है कि देश के सारे युवा उनके ही 'प्रकाश' के तले प्यार के अंधेरे से लड़ना चाह रहे है।

26 सकेंड की यह नैन-मटक्का वाली वीडियो चंद घंटों में 'प्रकाश' फैला गई और प्रिया प्रकाश वारियर रोतों-रात प्रत्येक भारतीय यूवा के दिलों में दीये की प्रकाश की तरह उतर गई। वैलेंटाइन सप्ताह के बीच जब प्रिया प्रकाश की यह कनखी सामने आया तो हरेक युवा के दिल में इस कनखी वाली लड़की ने वैलेंटाइन सप्ताह में एक नई उम्मीद जगाई। देश के सभी युवाओं के लबों पर बस प्रिया प्रकाश के ही 'प्रकाश' फैल गए। जब यह वीडियो मेरे व्हाट्सएप में पहली दफ़ा प्रकट हुआ तो मुझे लगा जैसे स्कूली टीनएजर्स के नैन-मटक्का वाली कोई एमएमएस हो। नजरंदाज कर गया। फिर कई जगह से यही क्लिप आयी। अगले दिन पता चला कि वो वीडियो तो नेशनल क्रश बन गया है। आंखों के रास्ते दिलों को घायल बनाने वाली प्रिया प्रकाश अब वाया सोशल मीडिया पाकिस्तान पहुंच चुकी है। अब प्रिया की नैनों के इशारों के दीवाने पाकिस्तान भी हो रहा है। इंटरनेट की इस दुनिया में सबकुछ बहुत फ़ास्ट होता है। 26 सेकंड का वीडियो ...चंद घंटों में धमाल मचा गई। भारत से लेकर पाकिस्तान तक युवाओं के दिलों को घायल कर गई। पर मुसीबत भी यहीं है। ये इंटरनेट जितना जल्दी सिर पर चढ़ाता है उतनी ही जल्दी पटक भी देता है। जरा सोचिये अब जब सख्त लौंडों के सर से वैलेंटाइन का भूत उतरेगा, उसके बाद इस लड़की के कनखी का क्या होगा? 

Wednesday 7 February 2018

Posted by Gautam singh Posted on 07:31 | No comments

'वेलेंटाइन डे' और तुम

'वेलेंटाइन डे' का नाम सुनकर ही हर एक युवाओं के मन में एक हलचल सी होने लगती है, वेलेंटाइन सप्ताह आज से शुरू हो चुका है। वैसे हम किसी 'डे' को एक दिन में समेटकर रख नहीं सकते और वैसे भी 'वेलेंटाइन डे' तो प्यार का दिन, प्यार के इजहार का दिन। अपने जज्बातों को शब्दों में बयां करने का दिन है। शायद इस दिन का हर धड़कते हुए दिल को बेसब्री से इंतजार रहता हो, लेकिन मेरा मानना है कि हम प्यार को एक दिन या एक सप्ताह में समेट कर नहीं रख सकते। यह तो एक खुशनुमा अहसास है जो हमारे रगों में लहु बनकर गर्दिश करता है। अगर फिर भी ऐसा दिन है तो उसे मनाने में कोई हर्ज भी नहीं होना चाहिए। आज 'रोज डे' है और हम कुछ दोस्त भी साथ है तो हमलोगों ने सोचा 'इस वेलेंटाइन डे' पर क्यों ना एक पत्र लिखा जाए वैसे अब पत्र तो लिखा जाता नहीं है फिर भी हमलोग पत्र लिख रहे है अपने-अपने प्रिय और प्रियतमा के लिए...

प्रिय 

देखों ना आज से वेलेंटाइन सप्ताह शुरू हो चुका है। पूरा बाजार गुलाब के फुलों से भरा हुआ है। ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे पूरा शहर गुलाबी रंगों में रंगा हुआ हो। हवाओं में गुलाबों की खुशबु महक रही है। इस महक के बीच तुम्हारी यादों की कुंज में, मैं तुम्हे यह खत लिख रहा हूं। प्रिय तुम तो जानती हो मैं कभी इस 'वेलेंटाइन डे' का पक्षधर नहीं रहा हूं लेकिन फिर भी मैं मनाने से कतराता भी नहूीं हूं। जब मैं घर से पहली दफा शहर आ रहा था। तुमने जो मुझे चुपके से खत दिया था। उस खत में कुछ बाते पहली दफा बताई थी, जिसे तुम अपनी जुबां से शायद नहीं कह पाई थी। जैसे की मैं सिर्फ पढ़ाई पर ही ध्यान केन्द्रित ना करूं, दोस्तों के साथ हंसी मजाक कर लिया करूं मौका मिलते ही आते-जाते लड़कियों को ताड़ लिया करूं वगैरह-वगैरह। तुम्हें पता है प्रिय तुम्हारे इस खत को मैं रोजपढ़ता हूं अकेले में और फिर इसे प्लास्टिक के थैली में लपेटकर अटैची में बंध कर सबसे छुपा कर रख देता हूं। मैं नहीं चाहता कि यह खत मेरे अलावा कोई और भी पढ़े। 


मैं इस खत को जितनी बार पढ़ता हूं तब ऐसा लगता है की हम दूर नहीं है बल्कि साथ ही है। तुमने उस दिन उस खत में लिखा था कि मैं आते जाते लड़कियों को ताड़ लिया करूं। तुमने ऐसा क्यों लिखा था। इस बारे में मैं न तब जान पाया था और न ही अब जान पाया हूं जब मैं यह खत तुम्हे लिख रहा हूं। सच बताऊं प्रिय तो मैं कभी ऐसा कर ही नहीं सकता था। इस बात को तुम मुझसे कहीं ज्यादा जानती थी। शायद इसलिए तुमने यह लिखा था। क्योंकि तुम जानती थी की मैं कभी किसी की ओर देख ही नहीं सकता और यह निष्ठा थी तुम्हारी मेरे प्रेम के प्रति इस लिए शायद तुमने यह लिखा था। मैं सोचता जिसके पास तुम्हारे जैसी लड़की हो उसे भला किसी और लड़की की ओर देखने की क्या जरूरत।


सही बताऊं प्रिय तो मैं हर दफ़ा की तरह इस दफ़ा भी वेलेंटाइन सप्ताह भुल गया था और यहां तुम भी नहीं थी जो मुझे याद दिलाए, जब सुबह तुम्हारा फोन आया तो मुझे पता चला की आज से यह सप्ताह शुरू हो चुका है। प्रेमी एक दूसरे को गुलाब दे कर इस सप्ताह का आगाज कर रहे है और मैं अपने कमरे के चार दिवारियों के बीच सोया पड़ा हूं। तुम्हे इस सप्ताह का इंतजार कितना बेसब्री रहा करता था। जैसे ही यह सप्ताह आता तुम्हारे चेहरे खिल उठते वैसे तुमने कभी किसी 'डे' पर मुझसे किसी चीज की फरमाईस तो नहीं की पर तुम इस सप्ताह के अनुसार प्रत्येक दिन विश किया करती और उपहार भी लाया करती। मुझे तो पता भी नहीं होता कौन सा 'डे' है। पर तुम मुझे एक दिन पहले आने वाले दिन के बारे में बताती कल कौन सा 'डे' है। मैं रोज भुल जाया करता और जब तुम सुबह मुझसे पुछती तो मैं कुछ न कह पाता तुम थोड़ा डाटती और फिर बड़े ही शहजता से बताती आज कौन सा 'डे' है। 'रोज डे' से शुरू होते हुए प्यार का यह दिन वाया प्रपोज डे, चॉकलेट डे, टेडी डे, प्रॉमिस डे, हग डे, किस डे के बाद अपने मूल दिवस वेलेंटाइन डे पर पहुंच जाता। तुम इन सारे दिवस को बड़े ही उत्साह के साथ मनाती।


अब जब यह खत तुम्हे मिले तो शायद वेलेंटाइन सप्ताह की धूम खत्म हो चुकी होगी। शायद महीना भी बदल चुका होगा। बाजार में होली की रोनक दिख रही होगी। वर्ष की अंतिम ऋतु शिसिर की विदाई हो रही होगी। तो वहीं साल के पहले ऋतु वसंत का आगमन होने को होगा। पलास के फूल खिलने को होंगे, आम के पेड़ में मंजरी लगने को होगी। तब तुमको शायद यह खत मिले, मैं जानता हूं यह खत जब तुमको मिलेगा तुम थोड़ा नाराज होगी और तुम्हारी नाराजगी भी जायज है। हर लड़की चाहती है की वह जिसे पसंद करे वह कम से कम वेलेंटाइन सप्ताह को तो याद रखे पर मैं याद नहीं रख पाया। इस बार जब मैं शहर से घर आऊं तो मुझे अच्छे से समझाना अगर मैं फिर भी ना समझू... तो बात मत करना क्योंकि हर गलती कीमत मांगती है और इस गलती की कीमत यही हो शायद

तुम्हारे खत के इंतजार में