Saturday 23 March 2019

Posted by Gautam singh Posted on 05:15 | No comments

कौन सी आजादी चाहिये

ऐसी निर्मम हत्याओं के बीच खून सने माहौल में मानवता का वध करने वालों को कैसी आजादी चाहिये…जहां बंदूक की नोक पर खोखली विचारधारा का रावणराज स्थापित करने की जद्दोजहद मची हो… और उसकी बलि बेदी पर मासूम से लेकर महिलाओं और बुजुर्गों तक की धड़ल्ले से निर्मम हत्या की जाती हो… और जाहिलियत की जिद के आगे सारे नियम कानून ताख पर रखकर महज आजादी की ढ़ोंग अलापकर नंगा नाच किया जाता हो… ऐसे हृदय विदारक भीषण माहौल में कैसी आजादी कुर्बान कर दी जाए …..जिससे स्वतंत्रता के नाम पर हत्याएं, समानता के नाम पर नर संघार, अभिव्यक्ति के नाम पर रक्तपात और खूनी शौक पूरा करने के लिए मानव वधशालाओं की खुली छूट हो…
क्या हम इस तरह के दुख दर्द से कराहते हुए माहौल में अब भी भटके हुए बच्चे की आजादी के लिए पैरवी करें… जिनकी निर्ममता के आगे समग्र मानवता अकारण ही वध का शिकार हो जाने की ओर अग्रसर हो… कौन चाहेगा कि खून सनी घाटियों के बीच मानवता के राक्षसों को खुली आजादी देदी जाए जहां इंसानियत की हत्या करना पसंदीदा शौक हो…. मानवता के समक्ष भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के लोग काम कर रहे हैं….मनुष्य के हित के लिए अधिकाशतः मानवाधिकार बनाए गए हैं.. जो सिर्फ मनुष्यों की ही रक्षा करते हैं… सोचने में तो भले ही यह राम राज्य से ओत प्रोत जैसा लगता होगा …लेकिन हम कैसे यह बात कह दें… कि मानवता के विध्वंसक जब मासूम बच्चों को अगवा करेंगे और उनकी आड़ में पूरे परिवार को बंदी बनाकर बचने की कोशिस करेंगे… ऐसे खौलते माहौल में कौन सा मानवाधिकार उस मासूम के रक्षा की जिम्मेवारी लेगा…