Monday 19 August 2013

मेरठ।  स्वाधीनता की चेतना भारतीय समाज में अरसे से जन्म ले रही थी। भारत के महान सपूतों के  बलिदान और अथक संघर्ष की कमाई है  आजादी।  असंख्य-असंख्य जिजीविषाओं का  महोत्सव । स्वतंत्रता के मूल्यों  और जन सरोकारों को आत्मसात करें। नागरिक कर्तव्यों एवं अधिकारों का सजग होकर पालन करें।
उक्त बातें भारतीय स्वतंत्रता दिवस के 67वें  उत्सव पर अभिव्यक्त हुए।  स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के तत्वावधान में स्वतंत्रता दिवस हर्षोल्लास से मनाया गया ।  उल्लास , उमंग और जोश -जज्बे के साथ विश्वविद्यालय परिवार ने पूर्वजों के बलिदान और अथक संघर्ष तथा जिजीविषा  को नमन किया । विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग कॉलेज प्रांगण में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के पूर्व निदेशक, वरिष्ठ विद्वान डॉ0 महावीर शरण जैन ने कहा कि जिन्हें आजादी नहीं हासिल है, वही आजादी के मोल समझ सकता है क्योंकि 'पराधीन सपनेहुं सुख नाहीं।’  जब वाणी की स्वतंत्रता छिन जाए तो मन कितना व्यथित होता है, इसका अंदाजा वहीं लगा सकता है  जो अपने मन-प्राण को अभिव्यक्त नहीं कर सकता !
 वस्तुतः आज जिन शहीदों के कारण हम आजाद हैं, उन सभी के त्याग, समर्पण के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिवस है। आज सामाजिक एकजुटता एवं समरसता का समय है । जिन शहीदों ने अपने प्राणोत्सर्ग कर दिया,  उनकी कृतज्ञता शब्दों से नहीं व्यक्त की जा सकती। 


                  मुख्य अतिथि केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के पूर्व निदेशक डॉ0 महावीर शरण जैन
                  ध्वजारोहण करते हुए ….


    डॉ जैन ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का स्मरण करते हुए कहा कि वह जो कहते थे,  उस पर पहले स्वयं अमल करते थे। उनकी कथनी और करनी में अंतर नहीं था। यही कारण था कि उनके बारे में कहा जाता था- चल पडे जिधर दो डग मग में, चल पडे कोटि पग उसी ओर। उन्होंने कहा कि स्वामी जी तथा गांधी जी एक दूसरे के पूरक हैं। यह संस्थान स्वामी विवेकानंद  के नाम पर है और उन्होंने धर्म और अध्यात्म को सामाजिकता प्रदान की। स्वामी जी ने मानव सेवा को धर्म का प्रतिमान बना दिया। उन्होंने कहा था- जो व्यक्ति भूख से तडप रहा हो, उसके सामने धर्म परोसना, उनका अपमान है और गांधी जी ने कहा था- जो तमाम मानव में विद्यमान है,  मैं उसी ईश्वर की पूजा करता हूं,  जो कि सत्य है।
 अपने संबोधन में उन्होंने उन बच्चों द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रमों की प्रशंसा की जो सुभारती में काम कर रहे श्रमिकों के हैं। उन्होंने इस पर प्रसन्नता व्यक्त की कि सुभारती उनके बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था करके सामाजिक सरोकार से भी जुडा है। हमें संपूर्ण समाज के हित के लिए काम करना होगा। संवैधानिक मूल्यों समता, सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता का पालन करना होगा। आज राजनेताओं को आत्ममंथन करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नेता जनता का प्रतिनिधि होता है। आज हो रहे घोटालों पर उन्होंने दुख व्यक्त किया और कहा कि इससे बचने के लिए पारदर्शिता जरूरी है। जब नेता ईमानदार और पारदर्शी होंगे तो देश की प्रगति होगी। आज कुछ विदेशी ताकतें हमें बांटने की कोशिश कर रही हैं, उन्हें निष्प्रभावी करना होगा। प्रो. जैन ने कहा कि भारत के पास मेधा है, प्रतिभा है, ताकत है,  उसे आगे बढाना होगा। नारी शक्ति पर हो रहे अत्याचार को भी रोकने के लिए उन्होंने संवेदनशील होकर कार्य करने की बात कही। सुभारती के माध्यम से उन्होंने ऐसी शिक्षा की व्यवस्था करने की बात की जो पूरे विश्व को ज्ञान दे सके।


                सुभारती केकेबी चैरिटेबल  ट्रस्ट की अध्यक्षा डा. शल्या राज संबोधित करते हुए------



सुभारती केकेबी चैरिटेबल ट्रस्ट की अध्यक्षा डा. शल्या राज ने अपने सुचिंतित संबोधन में सभी से अपने नागरिक कर्तव्यों का पालन करने का आहवान किया। देश और समाज के प्रति जिम्मेवारी महसूसना होगा । उन्होंने कहा कि साफ-सफाई, संसाधनों के दुरुपयोग की ओर युवाओं को सजग रहने की जरूरत है। युवाओं को खुद को देखना होगा। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर ऐसा क्यों और कैसे है कि हम बाहर जाते हैं तो वहाँ के नियमों और शिष्टाचार का बखूबी पालन करते हैं लेकिन अपने घर यानि देश और समाज में नहीं करते हैं। हमारे उच्च प्रतिमानों और मूल्यों के साथ व्यावहारिक संगति नहीं है। इस पर सभी को चिंतन-मनन करना चाहिए। आज हमारे लिए महान अवसर है। इस मौके को जाने न दें। आज़ादी के इस उत्सव को , स्वाधीन चेतना की विजय गाथा को एक बड़े अवसर के रूप में लेना चाहिए ताकि हम आत्मावलोकन कर सकें । 




                          

                       विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मंजूर अहमद संबोधित करते हुए-----




विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मंजूर अहमद ने कहा कि लम्बे संघर्ष के बाद हमें आजादी मिली। मेरठ की धरती ने आजादी के संघर्ष में महान योगदान दिया। सभी लोगो ने कंधे से कंधे मिलाकर आजादी की अलख जगाई। देश से मोहब्बत रखने वालों ने कुर्बानियां दीं।  आज उनके जज्बे को याद रखने की जरूरत है। उसे धुंधला न होने दे।
उन्होंने कहा कि यह आज़ादी ऐसे ही नहीं मिली ।  ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल को उधृत करते हुए उन्होंने कहा कि 1940 -1944 तक कोई  उम्मीद नहीं थी कि हम कभी आज़ाद भी होंगे !

प्रो. मंजूर ने कहा कि सुभारती ने कोशिश की है कि यहां पूरे देश के बच्चे शिक्षा के लिए आएं। आज पूरब -पश्चिम , उत्तर --दक्षिण हर जगह के बच्चे सुभारती में लघु भारत का आभास कराते हैं। हमारी कोशिश है कि हम पूरे भारत को एक करें।  राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए सुभारती हमेशा तत्पर है … ।
उन्होंने आगे कहा कि हमें अपनी संस्कृति, अपनी भाषा पर गर्व करना होगा। हमारे युवा अपनी ही भाषा से कटते हैं। अपनी संस्कृति और अपनी भाषा अपनाएं। हम सब एक साथ चलें तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं है। स्वतंत्रता के उत्सव को बड़े अर्थ में ग्रहण करना चाहिए और देश को निरंतर प्रगति पथ पर अग्रसर करना चाहिए।
 इस पुनीत अवसर पर आयोजित समारोह में रंगारंग देशभक्ति पूर्ण प्रस्तुतियों, समूहगान, नृत्य आदि से सुभारती विवि के छात्र-छात्राओं ने मन मोह लिया। अनेक भावपूर्ण प्रस्तुतियां वातावरण में  गूंजती  रहीं।
छात्र-छात्राओं के अलावा महिला गार्ड रूबी खान ने ...ये सुभारती समाज हमारा----- सुनाकर खूब तालियां बटोरी। सफाई कर्मचारी नरेन्द्र की जोश-जज्बे से रचित भावपूर्ण कविता को सभी ने सराहा। छा़त्र मौ. गुलहसन ने-है प्रीत जहां की रीत, मैं गीत उसी के गाता हूं, गीत प्रस्तुत किया । पत्रकारिता एवं जनसंचार के वरिष्ठ शिक्षक पी के पांडे ने 'बडी होती बेटी' (पत्रकार एवं वरिष्ठ कवि ) शीर्षक कविता का पाठ किया। इसके अलावा कोमल सिंह, ऋचा, नीरज ढाका, डा. किरन गर्ग एवं छोटे बच्चों ने आकर्षक प्रस्तुति दी। योगा कालिज की बी0एन0वाई0एस की छात्राओं ने म्यूजिकल योग के माध्यम से भारत माता की अनूठी वंदना की। इंजीनियरिंग के छात्र मानव सिंह एवं शिवम भारद्वाज ने सत्यमेव जयते -----का सराहनीय संगीतमय गायन किया। नर्सिंग छात्रा शरण्या ने है ईश्वर या अल्लाह प्रस्तुत किया। साथ ही कोमल, अंशु, एना सिसौदिया ने भाषण दिया। सुभारती इंजीनियरिंग कॉलेज की ओर से आजादी और देशभक्ति से जुडी कुछ लघु फिल्में दिखाई गई।
इसके पूर्व अल्लसुबह विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के छात्रों-शिक्षकों आदि ने प्रभातफेरी निकाली । वंदे मातरम , भारत माता की जय के नारे से वातावरण गुंजयमान हो उठा ।
 इस अवसर पर प्रति कुलपति प्रो. एके खरे, कुलसचिव पीके गर्ग, डा. जीएस भटनागर, मेडिकल कालिज के प्राचार्य डा. एके अस्थाना, ट्रस्टी डॉ एसडी खान आदि सहित विभिन्न संकायों -संस्थानों के प्राचार्य एवं डीन मौजूद रहे। समारोह का संचालन सुभारती मेडिकल कॉलिज के कम्युनिटी मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डा. राहुल बंसल ने तथा स्वागत एवं संयोजन इंजीनियरिंग कॉलेज के डा. जयंत शेखर ने किया।