Thursday 6 June 2013

                        

मेरठ ,३0 मई , स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय के वेलू नाचियार सुभारती पत्रकारिता एवं जन संचार संकाय’  में हिंदी पत्रकारिता दिवस (30 मई) पर हिन्दी पत्रकारिता के उद्भव एवं विका तथा चुनौतियों एवं सरोकारों पर व्यापक विमर्श हुआ। ज्ञातव्य हो कि 30 मई , 1826 को कानपुर निवासी पं0 युगल किशोर शुक्ल ने कलकत्ता से उद्न्त मार्तण्डनिकालकर भारतीयों को आधुनिकता से परिचित कराने तथा उनमें राष्ट्रीयता की भावना को जागृत करने में महान योगदान दिया। उदंत मार्तंड के 79 अंक निकले । 4 दिसंबर, 1927 को यह बंद हो गया । कहें तो सूर्यास्त हो गया ।  स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग कालेज के मदन मोहन मालवीय प्रेक्षागृह में हिंदी पत्रकारिता की पुण्य स्मृति के अवसर पर  हिन्दी पत्रकारिताः चुनौतियां एवं सरोकारविषयक संगोष्ठी आयोजित की गई।
अनेक वरिष्ठ पत्रकारों, मीडिया समालोचकोंअध्येताओं तथा मीडिया छात्र-छात्राओं की मजबूत उपस्थिति में पत्रकारिता की चुनौतियों एवं सरोकारों पर प्रकाश डाला गया। बहस-तलब चर्चा की गई । संगोष्ठी में विषय प्रवर्तन करते हुए दैनिक प्रभात, मेरठ  के संपादक सुनील छईंया ने कहा कि पत्रकारिता एक जल की तरह है जिसमें भी जाता है उसी आकार में ढल जाता है। पत्रकारों को सरोकारों को लेकर ही आगे रास्ता अख्तियार करना होगा। 
वहीं मुख्य वक्ता के रूप में आए जनसत्ता के वरिष्ठ पत्रकार अनिल बंसल ने अपने वक्तव्य में कहा कि हमें यह खुद तय करना होगा कि हमारी असली जबाबदेही जनता के प्रति है,  नेताओं के प्रति नहीं। हमें अपने उपर प्रतिशोध की भावना हावी नहीं होने देना चाहिए। विश्वसनीयता हमारी सबसे बडी संपति है , कसौटी है ।
 दिल्ली से आए वरिष्ठ पत्रकार पारस अमरोही ने कहा कि हमें लोभी नहीं होना चाहिए । कयोंकि  जहां लोभ होगा , वहां सरोकार नहीं होगा । पत्रकारिता के सामने तब सवाल आते हैंजब पत्रकारिता सवाल करना बंद कर देती है । पत्रकारिता में हम दोस्त जनता के है,  न की किसी सत्ता वालों की । 
 मुख्य अतिथि दिल्ली से पधारे वरिष्ठ पत्रकार तहसीन मुनव्वर ने बताया कि आज बाजार का दौर है, और पत्रकार बाजार का सताया हुआ है । आज सोशल मीडिया के कारण हम हर उस खबरों को आम जनता तक पहुंचा देते हैं जो हम बाजार के कारण नहीं पहुँचा पाते हैं । पत्रकारिता का स्वरूप विस्तारित हुआ है। चेहरा बदला है। ऐसे मंे पत्रकारों और पत्रकारिता को समाज और संस्कृति को दिशा देनी होगी।
पत्रकारिता संकाय के विभागाध्यक्ष पी.के.पांडेय ने कहा कि हिंदी समाचार पत्रों को अपूर्णता से मुक्त होना होगा। अच्छी पत्रकारिता भी बिक सकती है , बिकती है । हिंदी पत्रकारिता को हिंदी भाषी क्षेत्रों के बौद्धिक पिछडेपन को दूर करना चाहिए । बौद्धिक-सांस्कृतिक पर्यावरण को उन्नत करने का प्रयास करना चाहिए । उन्होंने कहा कि भारतेंदु , महावीर प्रसाद द्विेदी , राजेंद्र माथुर , प्रभाष जोशी को न सुनना चाहें तो न सुनिए लेकिन अपने आदर्शमर्डोक को तो सुन लीजिए जिनके बारे में कहा जाता है कि एक दशक पहले तक भारतीय मीडिया मालिक उनके पीए तक ही पहुंच पाए थे ! तो ऐसे घनघोर प्रोफेशनल , मुनाफावाले  मीडिया अधिपति रूपर्ट मर्डोक भी कहते हैं कि जब तक हम जनसेवा के सिद्धांत पर वापस न लौटें , तो हम चैथा खंभा कहलाने का अधिकार खो देंगे ।
पत्रकारिता के छात्र गौतम कुमार सिंह ने कहा कि 186 साल पहले उदन्त मार्तण्ड यानि कि समाचार सूर्य निकालकर कठिन साधनहीनता के दौर में शुक्ल जी ने हमारी चेतना को जागृत किया और बौद्धिक विस्तार दिया। छात्र अमित कुमार ने कहा कि हमें हिंदी पत्रकारिता की महान विरासत और गौरवमयी परंपरा को आत्मसात करना होगा।
कार्यक्रम के अध्यक्ष स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मंजूर अहमद ने अपने वक्तव्य में कहा कि पत्रकार और पत्रकारिता आज-कल मुसीबत में है। बाजार और मुनाफा एक बड़ा मसला है।  उन्होंने कहा कि लखनऊ से हिन्दी में 2300 अखबार पंजीकृत हैं पर बाजार में मुश्किल से आठ-दस अखबार ही छपते हैं । बाकी सरकारी’  अखबार हैं जो सिर्फ सरकार से विज्ञापन लेने के लिए छपते हैं ! सरोकार ही पत्रकारिता को बचाएगा ।
 कार्यक्रम में आए मुख्य अतिथि तहसीन मुनव्वर,   मुख्य वक्ता अनिल बंसल,  पारस अमरोही तथा अध्यक्ष प्रो. मंजूर अहमद को पत्रकारिता एवं जनसंचार संकाय के निदेशक नीरज शर्मा ने पुष्प-गुच्छ भेंट कर स्वागत किया तथा विषय की प्रस्तावना रखी । उन्होंने कहा कि सच  और विश्वसनीयता की जमीन पर दृढ़ रहकर ही हिंदी पत्रकारिता वर्तमान चुनौतियों से पार पा सकती है।
 कार्यक्रम का कुशल संचालन बीजेएमसी प्रथम वर्ष के छात्र अनम खान शरवानी तथा आभार प्रकाश नीरज शर्मा ने किया। संकाय के  सुमन मिश्रा,  शिखा धामा,   दीपा पार्चा, शशांक शर्मा आदि मौजूद रहे

                                              
                                                           और कैमरे में ....


                                        तहसीन मुनव्वर बोलते हुए ....
 
तहसीन मुनव्वर का स्वागत करते नीरज शर्मा
                                       
                                         सभागार का एक दृश्य

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