मेरठ। सुभारती का
अर्थ है सुंदर भारती। भारतीयता के मर्म की सुंदर कल्पना ! संकल्पना -- एक ऐसे
स्वप्नदर्शी व्यक्तित्व की जो सामाजिकता, सरोकारों और राष्ट्रीयता को जीवन ध्येय बनाकर चला। किशोर वय में ही
आंखों में एक चमकदार, सुनहरे
मानवीय सपने लिए (डा.) अतुल कृष्ण ने सुभारती आंदोलन की नींव रखी। कुछ नया रचने की चाहत ..! समाज के दुःख-दर्द में
हमेशा भागीदारी और मददगार हाथ लिए ... अनेक शैक्षिक, सांस्कृतिक सपनों को उन्होंने जीवन मर्म बना लिया।
एक चिकित्सक , कुशल सर्जन --समाज की चिंता में ...जीवन को बेहतर और सुन्दर बनाने में समर्पित हो गया ! सामाजिकता और जीवन के प्रति अथाह सरोकार उनकी
स्वप्नदर्शिता है ।
भारतीयता की सुन्दर कल्पना है सुभारती ।
भारतीयता की सुन्दर कल्पना है सुभारती ।
शहर की अशांति में दुखियारों के लिए अपनी टीम के साथ विद्यार्थी जीवन में ही बिना किसी परवाह के जूझ पड़ने वाले डॉ अतुल ने हमेशा समाज की जरूरत में यथासंभव मदद के लिए आगे बढ़कर कार्य किया । यह सिलसिला करीब तीन -चार दशकों से जारी है ....।
इसी कड़ी में केदारनाथ में प्रकृति की भीषण चुनौती और आपदा
में भी सुभारती परिवार आगे बढ़कर आया। सुभारती विश्वविद्यालय के गुरु तेगबहादुर सभागार में आयोजित
एक आपात सभा में आपदा में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से
प्रार्थना की गई तथा भीषण आपदा में फंसे लोगों की सहायता और बीमारों की चिकित्सा के
लिए भी सुभारती की ओर से समुचित व्यवस्था की पहल की गई। प्रभावित लोगों की मदद के लिए
सुभारती परिवार के समस्त स्टाफ ने एक दिन का वेतन उत्तराखंड 'मुख्यमंत्री राहत कोष' में देने
की घोषणा की, जिसमें 12 लाख का
चेक सुभारती के.के.बी. चैरिटेबल ट्रस्ट की अध्यक्षा डा. शल्या राज को इस वास्ते
सौंपा गया कि वे उसे मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड को पहुँचा सके । सभा में वक्ताओं ने
उत्तराखंड की आपदा को अत्यंत भीषण और दुखदायी बताते हुए कहा कि आज उन्हें हर स्तर
पर मदद की जरूरत है जिसमें हम सभी अपने स्तर से हाथ बंटा सकते हैं।
सुभारती के के बी चैरिटेबल ट्रस्ट की अध्यक्षा डा0 शल्या राज ने इस आपदा से प्रभावित लोगों की हर संभव
मदद की घोषणा करते हुए कहा कि सुभारती की ओर से चिकित्सकों की एक टीम तत्काल
उत्तराखंड जाएगी और जो लोग बीमार हैं , असहाय हैं उनको समुचित चिकित्सा प्रदान करेगी। सुभारती इस विपदा की घड़ी में लोगों के साथ है ।
डॉ शल्या राज, अध्यक्षा , सुभारती केकेबी चैरिटेबल ट्रस्ट
वहीं सुभारती आन्दोलन के संस्थापक
डा. अतुल कृष्ण ने सुभारती परिवार के सभी सदस्यों से एक दिन का वेतन राहत कोष में
देने का प्रस्ताव रखा जिसका विश्वविद्यालय परिवार ने समर्थन किया। सभा में ही उन्होंने 15 डाक्टरों की टीम भेजने, पोस्टमार्टम के लिए सुप्रशिक्षित डाक्टरों
की टीम भेजने तथा आपदा में
प्रभावित बीमार लोगों के इलाज के लिए सुभारती अस्पताल में निःशुल्क इलाज करने और
पार्थिव शरीर को सुरक्षित रखने का प्रस्ताव रखा। जिसे सुभारती विश्वविद्यालय के
कुलपति प्रो0 मंजूर अहमद एवं
सुभारती मेडिकल काWलिज के प्राचार्य डा0 ए0के0 अस्थाना ने स्वीकार कर लिया। डा0 अतुल ने उत्तराखंड से मिली जानकारियों के
आधार पर बताया कि वास्तव में वहां के हालात बहुत खराब हैं जिसमें मदद अति आवश्यक
है और इसमें हर किसी को हाथ बंटाना चाहिए। राष्ट्र के हर नागरिक को विपति की इस वेला में हर संभव मदद की कोशिश करनी चाहिए ।
वित्त सलाहकार राजेश मिश्र एवं प्रबंधक रश्मिकांत डॉ शल्या को चेक सौपते हुए ..।
स्वामी विवेकानंद
सुभारती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मंजूर अहमद ने अपने संबोधन में कहा कि
उत्तराखंड में आई दैवीय आपदा सच में अत्यंत विस्मयकारी और कष्टदायक है। आज इस आपदा
से प्रभावित लोगों को मदद की जरूरत है और यह हम सभी देशवासियों का कर्तव्य है कि
इस नाजुक मौके पर हम उनकी सहायता के लिए आगे आएं।
कुलपति, प्रोफेसर मंजूर अहमद
सुभारती इंस्टीट्यूसंस की
संस्थापक डा0 मुक्ति भटनागर ने
कहा कि यह दैवीय आपदा प्रकृति की ओर से हम सभी को चेतावनी है कि अब वक्त आ
गया है कि हम प्रकृति के साथ खिलवाड न
करें। पृथ्वी और सृष्टि पर सभी जीवों का उतना ही अधिकार है जितना हम सभी का है । ...कौन जाने पृथ्वी के बारे में हमसे कही अधिक चिंतित रहती हों चीटियाँ ...। उन्होंने कहा कि वक्त आ गया कि अंधाधुंध विकास के बारे में हम पुनर्विचार करें ।
सभा के अंत में डेढ मिनट का मौन रखा गया
तथा शांति पाठ करके मृतात्माओं की शांति की प्रार्थना की गई। सभा में सुभारती विश्वविद्यालय के
समस्त कालेजों के प्राचार्य, डीन , निदेशक , विभागाध्यक्षों
ने भाग लिया। सभा का संचालन संस्कृति विभाग के अध्यक्ष डा देशराज ने किया ।
---प्रमोद कुमार , साथ में गौतम सिंह
---प्रमोद कुमार , साथ में गौतम सिंह
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