भूख और डर से, निरक्षरता और अभाव से मुक्त भारत का सपना देखने वाले अटल बिहारी वाजपेयी समकालीन भारतीय राजनीति का 'ग्रैंड ओल्ड मैन' वर्तमान में भारतीय राजनीति के 'भीष्म पितामह' वाणी में प्राण और प्राण में प्रण लेकर पैदा हुए अलट बिहारी वाजपेयी शुरू से ही कवि थे। उनका रचा हुआ। बाधाएँ आती हैं आएँ घिरें प्रलय की घोर घटाएँ, पावों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ, निज हाथों में हँसते-हँसते, आग लगाकर जलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। आज के दौर में सबसे ज्यादा जरूरत है। जराजनीतिक अफरा-तफरी और अराजक आरोपों के दौर में अटल बिहारी वाजपेयी जैसे अजातशत्रु राजनेता की सक्रियता बहुत जरूरी महसूस होती है। उनके व्यक्तित्व का ही यह चुम्बकीय गुण था कि वैचारिक दृष्टि से विपरीत ध्रुव वाले राजनेता और दल भी उनके साथ आ जुडने के लिए कभी संकोच नहीं करते थे। लिखने पढ़ने के शौक के लिए जाने-जाने वाले भारत रत्न वाजपेयी आज अखबार भी नहीं पढ़ पा पाते बेहतरीन कवि, महान नेता और सफल पीएम के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले अटल बिहरी बाजपेयी खराब स्वास्थ के कारण राजनीतिक दुनिया से बहुत दूर है पर उनके आदर्श और बातें आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं। तभी तो कभी उनकी खड़ाऊ तो कभी उनकी चिठ्ठी लोगों के जीतने का कारण बनती है।
Sunday 25 December 2016
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