Wednesday 8 July 2015

जित तरीके से व्यापमं घोटाले में एक के बाद एक 47 मौतें हुई है। जिसमें कुछ मौतें ज़हरीली शराब पी लेने से, कुछ मौतें दवा के रिएक्शन से, कुछ मौतें बीमारी से और कुछ मौतों की वजह का पता नहीं ये सब ऐसे लग रहा है जैसे कोई पढ़ने वाला जासूसी नावेल हो जिसमें कुछ पता नहीं चलता की आगे क्या होगा ? वैसे ही व्यापमं घोटाले में हो रहा है। व्यापमं अपने व्यापक रूप में आ कर खूनी तांडव मचा रहा है, और यह दिनों दिन आदमखोर होते जा रहा है। यह देखते ही देखते इससे जुड़े व्यक्तियों की सांसे रोक देता है। इसमें में जो भी हाथ डालता है वह वापस नहीं आता है। वह व्यापमं का शिकार हो जाता है।

आखिर कितना व्यापक है यह व्यापमं जिसने इतने लोगों को मौत के घाट उतार दिए। ऐसे में लोगों के सामने सवाल उठनी लाजमी है कि क्या केवल संयोगवश यह संभव है कि एक ही घोटाले से जुड़े इतने लोग असमय कुदरती मौत के शिकार हो जाएं ? चूंकि अभी तक किसी की हत्या होने का कोई प्रमाण नहीं है, ऐसे में इन मौतों को लेकर किसी पर अंगुली उठाना अनुचित होगा, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार और भाजपा को इसके प्रति आगाह रहना होगा कि लोग धारणा बनाने के लिए ठोस सबूत का इंतजार नहीं करते। खासतौर पर जब व्यापक रूप से फैले घपले की पृष्ठभूमि में लोगों के मरने की सनसनीखेज घटनाएं सामने आने लगे, तो ज़ुबानी चर्चाएं जनमानस में सच की तरह बैठने लगती हैं। अब जितना इस मामले को दबाने की कोशिश होगी, उतना ही यह उभर कर आएगा। कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों इसे राजनीतिक समस्या मानकर चल रही हैं, जबकि यह केस देश की सड़ती प्रशासनिक व्यवस्था और भ्रष्ट राजनीति की पोल खोल रहा है।

ऐसे में सवाल खड़ा होना लाजमी है लेकिन इन सारे सवालों के बाद भी सरकार कुछ करने की जहमत नहीं उठा रही है। जिस तरह सन 2010 में टू-जी मामले ने यूपीए सरकार की अलोकप्रियता की बुनियाद डाली थी, लगभग उसी तरह मध्य प्रदेश का व्यापम घोटाला भारतीय जनता पार्टी के गले की हड्डी बनते जा रही है। इस घोटाले में व्यक्तिगत रूप से शिवराज सिंह चौहान भी घिरे हैं। सरकार और विपक्षी पार्टियों इस मुद्दे पर कुछ ठोस कदम उठाने के बजाय एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने में लगी है। क्योंकि उनको पता है। व्यापमं की ये लपटे न जाने किस-किस को अपने चपेटे में ले। इसकी लौ मध्यप्रदेश के मंत्रियों से होते हुए अब मुख्यमंत्री तक पहुंच चुकी है।

बेशक घोटाले की आँच भाजपा सरकार पर आएगी, पर इसमें कांग्रेस से जुड़े लोग भी शामिल होगें। व्यापम घोटाले ने शिक्षा, खासकर व्यावसायिक शिक्षा और प्रतियोगिता परीक्षाओं में गहरे तक बैठी बेईमानी का पर्दाफाश किया है। यह राष्ट्रीय प्रतिभा के साथ विश्वासघात है और खुल्लम-खुल्ला अंधेर है। ऐसे मामले केवल मध्य प्रदेश तक सीमित भी नहीं हैं। सत्ताधारियों का यह देश-व्यापी अंधेर है, और इसका जल्द से जल्द निपटारा होना चाहिए। ऐसे में क्या सरकार व्यापमं के व्यापक रूप को रोकने के लिए कोइ व्यापक रूख अपनाएंगी। या व्यापमं यू ही खूनी तांडव मचाते हुए और कितने लोगों को अपने आगोष में सुनाएगी। या इसके पीछे हो रहे तांडव का पर्दा फास करके सच्चाई से आम लोगों को रू-ब-रू करायेंगी ये आने वाले कुछ दिनों में पता चल पाएगा। 
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