Saturday 4 July 2015



आज ही के दिन 113 वर्ष पूर्व स्वामी विवेकानंद जी का महा प्रयाण हुआ था। स्वामी जी भारतीय मनीषा के ऐसे प्रतिनिधी महा व्यक्तित्व है जो हम सभी के लिए ही नहीं पूरी मानवता के लिए प्रेरणा के स्त्रोत हैं। याद किजीए की 39 साल के जीवन में उन्होंने जो भारत वर्ष को दिया वह यूगों-यूगों तक धरोहर बना रहेगा। स्वामी जी ने कहा था ''यदि हम भगवान को हर इंसान और खुद में नहीं देख सकते तो हम उसे ढूंढ़ने कहां जा सकते हैं?'' स्वामी जी के ये विचार आज प्रसंभिक है। उनके बताए मार्ग पर चल कर विश्व अपाधापी और अशांती से मुक्ति पा सकती है। स्वामी विवेकानंद जी के विचारों का आज पहले से भी अधिक महत्व बढ़ चूका है। उनके द्वारा स्थापित सिद्धांतों और दर्शन का अनुकरण करके हम अपना और अपने राष्ट्र का परचम पूरी दुनिया पर फहरा सकते हैं।

वे केवल सन्त ही नहीं, एक महान देशभक्त, वक्ता, विचारक, लेखक और मानव-प्रेमी भी थे। उन्हें अपनी राष्ट्रीयता पर गर्व था। भारतीय संस्कृति एवं भारतीय धर्म के प्रति उनका गर्व एवं आदर शिकागों के धर्म संसद में उनके द्वारा दिए गए संभाषण से ज्ञात होता है जब उन्होंने कहा था "मैं एक ऐसे धर्म का अनुयायी होने में गर्व का अनुभव करता हूं, जिसने संसार को सहिष्णुता तथा सार्वभौम स्वीकृति दोनों की शिक्षा दी है... मुझे एक ऐसे देश का व्यक्ति होने का अभिमान है जिसने इस पृथ्वी के समस्त धर्मों और देशों के उत्पीडि़तों और शरणार्थियों को आश्रय दिया है।" स्वामी विवेकानंद ने कहा था देश राष्ट्रीय जीवन रूपी जहाज है, अत: तुम्हारा यह कर्तव्य बनता है कि यदि इस जहाज में छेद हो गया हो तो उन्हें बंद करो। चूंकि तुम इसकी संतान हो, अत: इन छेदों को बंद करने में अपनी सारी शक्ति लगा दो। वह कहते हैं- आओ चलें, उन छेदों को बंद कर दें।

 उसके लिए हंसते-हंसते अपने ह्रदय का रक्त बहा दो और यदि हम ऐसा न कर सके तो हमारा मर जाना ही उचित है। राष्ट्र और संसार के कल्याण के लिए स्वामीजी ने ज्ञान की महत्ता पर भी बल दिया। उन्होंने युवकों को यह संदेश दिया कि संसार में ज्ञान के प्रकाश का विस्तार करो, प्रकाश सिर्फ, प्रकाश लाओ। प्रत्येक व्यक्ति ज्ञान के प्रकाश को प्राप्त करे। जब तक सब लोग भगवान के निकट नहीं पहुंच जाएं तब तक तुम्हारा कार्य शेष नहीं हुआ है। मात्र 39 वर्ष के जीवनकाल में स्वामी जी ने अपने विचारों से युवाओं के मन मस्तिष्क पर ऐसी अमिट छाप छोड़ी कि उनके गुजरने के सौ वर्ष से अधिक समय बाद भी युवा पीढ़ी उनसे प्रेरणा लेती है। दुनिया में हिंदू धर्म और भारत की प्रतिष्ठा स्थापित करने वाले स्वामी विवेकानंद एक आध्यात्मिक हस्ती होने के बावजूद अपने नवीन एवं जीवंत विचारों के कारण आज भी युवाओं के प्रेरणास्रोत हैं, और आने वाले यूगों-यूगों तक प्रेरणास्रोत रहेगें।


Categories:

0 comments:

Post a Comment