Monday 6 April 2015

मैदान सज चुकी है खिलाड़ी दिखने और बिकने को तैयार है। ठीक उसी तरह जैसे सोनपुर के मेले में घोड़े बिकते हों लाल घोड़ा, काला घोड़ा, सफेद घोड़ा सब एक से बड़कर एक ! व्यपारी बोली लगाने को तैयार ठीक वैसे ही आईपीएल का रन सज चुका है यहां भी घोड़े की तरह देशी और विदेशी खिलाड़ी बिक चुके है। महेंद्र सिंह धोना, विराट कोहली, मैक्सवेल, युवराज सिंह, दिनेश कार्तिक और न जाने कौन कौन सब अपना खेल दिखाने को तैयार है। ठीक वैसे ही जैसे कोई मदारी अपने बंदर को बोलते ही वह अपना करतब दिखाना शुरू कर देता। वैसे ही यहां भी सभी खिलाड़ी अपने-अपने खेल की नुमाईस के लिए तैयार है।
आईपीएल आठ यानी 'इंडियन पैसा लीग' की आगाज आठ अप्रेल से हो रहा है। इसके जादू से एक बार फिर क्रिकेट प्रेमी काम-काज नौकरी-धंधा पढ़ाई-लिखाई यहाँ तक कि खाना-पीना और शरीर की दूसरी अति महत्वपूर्ण जैविक क्रियाओं पर भी जबरिया रोक लगा कर बस 'इंडियन पैसा लीग' के झंपिंग झपांग झंपक-झंपक, ढंपिंग-ढपांग में मशगूल हो जाएंगे। मनोरंजन के नाम पर बड़े-बड़े डीजे और हर चैके-छक्के पर छोटे छोटे कपड़ों में नाचते तथा अपनी टीमों का हौसलाफ्जाई करती चीयरलीडर्स और पागलों के तरह हल्ला करते क्रिकेट प्रेमी अजीब पागलपंथी देखने को मिलेगा।

वैसे तो आईपीएल (इंडियन पैसा लीग) के साथ विवादों का सुरू से ही चोलि दामन का नाता रहा है। आईपीएल के सीजन 6 में स्पॉट फिक्सिंग में तीन खिलाडि़यों की गिरफ्तारी के बाद ये मांग उठने लगा था कि क्या आईपीएल को बंद कर दिया जाना चाहिए ? इससे पहले के संस्करण में भी अनेक विवाद आईपीएल की झोली में आए, जिसमें खिलाड़ियों द्वारा स्टेडियम में नशीले पदार्थ का उपयोग करने से लेकर चियर्स गर्ल का अशलील नांच और मैच के बाद होने वाली रेव पार्टी काफी जयादा सुर्खीयों में रही है। देश के एक अरब लोगों का मनोरंजन करने वाले क्रिकेटर इस तरह मुंह काला कर घूमेने के बावजूद भी आईपीएल के प्रति लोगों का जुनून साल दर साल कमने के वजाय और बढ़ता ही जा रहा है।

एक जमाना था क्रिकेट जेंटलमेन गेम हुआ करता था, खिलाड़ी एक दूसरे का सम्मान किया करते थे। मैदान में सिर्फ हाउजदैट की आवाज भर सुनाई देतीं थी, और दर्शक चिन्तनकारों की तरह गैलरियों में बैठकर चैके-छक्के पड़ने पर इस तरह होले-होले तालियाँ बजा दिया करते थे। जैसे खिलाड़ियों पर एहसान कर रहे हों। खिलाड़ी घूमते-फिरते, खाते-पीते, टहलते हुए पाँच दिन का टेस्ट मैच निबटा लिया करते थे। मगर अब खेल के मायने बदल गये है। खेल के नाम पर झंपिंग झपांग ढंपिंग ढपांग का जमाना है। आजकल सीख दी जा रही है कि शराफत छोड़ो, कपड़े फाड़ कर पागलपन पर उतर आओ। घर-बार, नौकरी-चाकरी, स्कूल-कॉलेज, पढ़ाई-लिखाई छोड़कर मेंटलमैन बन जाओ। लिहाजा मैच में आठ-दस पागल किस्म की चीयरगर्ल्‍स का झुंड बिना थके नाच-नाचकर खिलाड़ियों व दर्शकों का मनोबल बढ़ाएगा, और उधर घर में बैठकर टी.वी में घुसे पड़े तमाम लोग अपनी झंपक-झंपक से अड़ौसियों-पड़ौसियों के जीना हराम करेंगे। 
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