यू तो भले ही सुशासन का दावा ठोक कर सत्ता के लिए लालायित सरकारे जब बातों की दाव पेच और पेचिदगी का समांजस्य बैठा कर कुर्सी पा जाती है। तो उन पर जब समाजिक गरीमा और मानवीय मरियादा की हत्या हो जाती हो, तो सवाल करना लाजमी और मजबूरी भी है। आपने तो अपने निधारित वसूलों से बचने के लिए अपनी असफलता या संलिप्तता को छुपाने के लिए दूसरी सरकारों में घटित हुए वाक्यों का उदाहरण थोपने लगते है। आपसे सवाल यह है कि आप सत्ता में उनके जैसा काम करने के लिए आये थे या उनसे बेहतर लंबे-चौड़े विकास का चकाचौंध छप्पन इंची सीना दिखाकर सुशान का वादा करके आये थे।
आप उस समय 56 इंची सीने पर 100 इंची चटपची जुबान बाखूबी चला रहे थे और आज जब आपके मौसेरे पर कथित आरोपों की झड़ी लग जाती है। तो आप उदाहरण के तौर पर अपना ठिकरा विपक्ष की सरकार पर क्यों थोप देते है। इससे तो आप स्वयं ही यह सिद्ध करते है कि उनसे ज्यादा बेहतर काम करने का वादा कर मात्र सत्ता हथियाने आये थे। आपने सिद्ध यह कर दिया कि आपसे बेहतर प्रतिपक्ष की सरकार थी। उसने भी गुड़िया का दंश झेला लोग सड़को पर आये। लेकिन किसी भी सरकार का उदाहरण दिये बैगेर, बिना किसी लाग-लपेट के दोषियों को सलाखों के पिछे तत्काल प्रभाव से ठूस दिया। यह उस समय की सरकार की बहादुरी थी। यहां तो साहब एक हप्ते हो गए हैं। कार्यवाही के नाम पर ठेंगा दिखाते हुए अपनी मूल जिम्मेदारी से बचते हुए विपक्ष के राज में हुई निर्मम घटना से तुलना करने से जरा सा भी नहीं चुके और अपने सत्ता के सहचर संघर्षी पर जरा सा भी जांच की आंच न आने दिया। भले ही विपक्षी सरकार के दर्जनों उदाहरण गिना दिया हो अब न्याय कौन करें... आप या विपक्ष?...
आप उस समय 56 इंची सीने पर 100 इंची चटपची जुबान बाखूबी चला रहे थे और आज जब आपके मौसेरे पर कथित आरोपों की झड़ी लग जाती है। तो आप उदाहरण के तौर पर अपना ठिकरा विपक्ष की सरकार पर क्यों थोप देते है। इससे तो आप स्वयं ही यह सिद्ध करते है कि उनसे ज्यादा बेहतर काम करने का वादा कर मात्र सत्ता हथियाने आये थे। आपने सिद्ध यह कर दिया कि आपसे बेहतर प्रतिपक्ष की सरकार थी। उसने भी गुड़िया का दंश झेला लोग सड़को पर आये। लेकिन किसी भी सरकार का उदाहरण दिये बैगेर, बिना किसी लाग-लपेट के दोषियों को सलाखों के पिछे तत्काल प्रभाव से ठूस दिया। यह उस समय की सरकार की बहादुरी थी। यहां तो साहब एक हप्ते हो गए हैं। कार्यवाही के नाम पर ठेंगा दिखाते हुए अपनी मूल जिम्मेदारी से बचते हुए विपक्ष के राज में हुई निर्मम घटना से तुलना करने से जरा सा भी नहीं चुके और अपने सत्ता के सहचर संघर्षी पर जरा सा भी जांच की आंच न आने दिया। भले ही विपक्षी सरकार के दर्जनों उदाहरण गिना दिया हो अब न्याय कौन करें... आप या विपक्ष?...
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