देखिये बात बिल्कुल स्पष्ट है। आपको आरक्षण देना है दिजीए। क्योंकि वह गरीब, पिछड़ा सवर्णों के अत्याचार का मारा पैदा हुआ था, हुआ है और शायद जबतक आरक्षण व्यवस्था रहेगा। तब तक वह अत्याचार का मारा ही पैदा होता रहेगा। जरा सोचिये रामविलास पासवान, रामदास आठवले, जीतन राम मांझी, शिबू सोरेन, बाबूलाल मरांडी, अर्जून मुण्डा, मधु कोडा। सरीखे नेता के संतान क्या सवर्णों के अत्याचार का मारा ही पैदा हुआ है? अगर हुआ ही है तो हां इन्हें आरक्षण मिलना चाहिए।
आरक्षण के लिए आप किसी के अधिकार की मलाई चाटने के लिए मुह फैलाए की आप उससे पहले अपने बाजुओं में बल करके अत्याचार से लड़ने के खिलाफ खड़े हो जाए। आप तो इतने चालाक और सातीर बाजीगर है कि थप्पड़ भी आप ही मार रहे है और मुझे चिल्लाने के बजाय खुद ही चिल्ला रहे है। मार भी रहे है और रोने भी नहीं दे रहे है। फिर वही बात अपने राग का विधवा रागन अलाप रहे है। करोड़ो की सम्मपति आप लोगों के पास है लेकिन आप अभी भी गरीब है। देश आप लोग चला रहे है। लेकिन आप अभी शोषित है। आपका भले ही इलाके में दादागिरी चलता हो लेकिन आप अभी भी सवर्णों के अत्याचार के मारे हुए है। आपके बच्चे भले ही देश और विदेश के बड़े-बड़े शहरों में पढ़ रहे हो लेकिन वह फिर भी गरीब और पिछड़ा हुआ ही है। आपके दादा जुल्म के मारे थे, बाप जुल्म के मारे है और पोता भले ही मर्सडीज, ओडी और जैगवार में चल रहे हो लेकिन वह भी जुल्म के मारे हुए ही है।
आरक्षण के लिए आप किसी के अधिकार की मलाई चाटने के लिए मुह फैलाए की आप उससे पहले अपने बाजुओं में बल करके अत्याचार से लड़ने के खिलाफ खड़े हो जाए। आप तो इतने चालाक और सातीर बाजीगर है कि थप्पड़ भी आप ही मार रहे है और मुझे चिल्लाने के बजाय खुद ही चिल्ला रहे है। मार भी रहे है और रोने भी नहीं दे रहे है। फिर वही बात अपने राग का विधवा रागन अलाप रहे है। करोड़ो की सम्मपति आप लोगों के पास है लेकिन आप अभी भी गरीब है। देश आप लोग चला रहे है। लेकिन आप अभी शोषित है। आपका भले ही इलाके में दादागिरी चलता हो लेकिन आप अभी भी सवर्णों के अत्याचार के मारे हुए है। आपके बच्चे भले ही देश और विदेश के बड़े-बड़े शहरों में पढ़ रहे हो लेकिन वह फिर भी गरीब और पिछड़ा हुआ ही है। आपके दादा जुल्म के मारे थे, बाप जुल्म के मारे है और पोता भले ही मर्सडीज, ओडी और जैगवार में चल रहे हो लेकिन वह भी जुल्म के मारे हुए ही है।
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