Thursday 8 March 2018

साहिर लुधियानवी एक ऐसा नाम जिसके बिना शायरी ग़ज़ल और गाने फीके से लगते हैं। मोहब्बत की दास्तान को सबसे मुक्कमल अंदाज में पेश करने वाले साहिर मोहब्बत के नगमे लिखते तो रहे मगर मुकम्मल मोहब्बत कभी नसीब न हुई। साहिर ने जब कॉलेज के दिनों में किसी अधूरे प्रेम के लिए लिखा था 'जिंदगी तेरी नर्म जुल्फों की छांव में गुजरने पाती, तो शादाब हो भी सकती थी' एंग्रीयंग मैन के दौर वाले अमिताभ ने अपने तल्ख अंदाज से इस अहसास को हिन्दुस्ता की कितनी पीढ़ियों ने अपनी-अपनी प्रेमिकाओं के सामने दोहराने की कोशिश की होगी। 

ज़ज्बे, एहसास, शिद्दत और सच्चाई के शायर साहिर लुधियानवी उन चुनिंदा शायरों में से रहे हैं जिन्होंने फिल्मी गीतों को तुकबंदी से निकाल कर दिलकश शेरों शायरी की बुलंदियों तक पहुंचाया। मशहूर शायर कैफ़ी आज़मी ने कभी साहिर लुधियानवी की शायरी के रोमांटिक मिज़ाज पर तंज़ कसते हुए कहा था कि ''उनके दिल में तो परचम है पर क़लम काग़ज़ पर मोहब्बत के नग़मे उकेरती है।'' लेकिन साहिर की निजी जिंदगी में प्यार कभी परवान न चढ सका। ग्लैमर तथा शौहरत की दुनिया में रहने के बावजूद वे कभी किसी लड़की को जीवन संगनी नही बना पाये। महान पंजाबी कवित्री अमृता प्रीतम के प्यार में साहिर गिरफ्त हुए जरूर थे। ये एकतरफा प्यार भी नहीं था, लेकिन फिर भी साहिर को मुकम्मल मोहब्बत नसीब न हो पाई। शब्दों के जादूगर साहिर जब औरतों के बदहाली पर रचते हैं 'औरत ने जनम दिया मर्दों को, मर्दों ने उसे बाजार दिया' तो रूह कांप उठती है। उनके लेखनी के प्रति हम सहज ही नतमस्‍तक हो जाते हैं।
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