Saturday 11 March 2017

होली, एक ऐसा उत्सव जो जीवन के आनंद पर नृत्य करता है। जीवन जो खुद एक रंग है। होली पर इस देश में जितने रंग खेले जाते है। उतने तो पूरी कायनात में देखे भी नहीं जाते विद्वानों का रंग बेरोजगारों का रंग जितना हिंदूओं का रंग, उतना ही मुस्लमानों का रंग, जितना इश्क का रंग उतना ही फरेब का रंग, जितना राजा का रंग, उतना ही रंक का रंग, जितना मंदिरों का रंग, उतना ही मस्जिदें का रंग, जितना आरती का रंग, उतना ही अजान का रंग ये सिर्फ त्योंहारों की किस्सागोई नहीं है ना ही किसी संतुलन की मजबूरी होली तो कहानी है जीवन की। जीवन जो खुद एक रंग है।  होली राग-रंग का उत्सव है। राग यानी गीत, संगीत... और रंग यानी जीवन... दोस्ती के रंग... प्रेम का रंग.... धर्म और दर्शन के रंग... हंसी ठिठोली के रंग...  इन रंगो को उत्कर्ष तक पहुँचाने वाली प्रकृति भी इस समय रंग-बिरंगे यौवन के साथ पूरे शबाब पर होती है।


इसी समय शिशिर ऋतु विदा हो रही होती है और वसंत का आगमन होता है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार चैत्र शुदी प्रतिपदा के दिन से ही नए साल की शुरुआत भी होती है। होली का त्योहार वसंत पंचमी से ही आरंभ हो जाता है। उसी दिन पहली बार गुलाल उड़ाया जाता है। इस दिन से फाग और धमार का मीठा संगीत सुनाई देने लगता है। खेतों में सरसों खिल उठती है। बाग-बगीचों में फूलों की आकर्षक छटा छा जाती है। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और मनुष्य सब उल्लास से परिपूर्ण हो जाते हैं। खेतों में गेहूँ की बालियाँ इठलाने लगती हैं। किसानों का ह्रदय ख़ुशी से नाच उठता है। बच्चे-बूढ़े सभी व्यक्ति संकोच और रूढ़ियां भूलकर ढोलक-झांझ-मंजीरों की धुन के साथ नृत्य-संगीत व रंगों में डूब जाते हैं। चारों तरफ़ रंगों की फुहार फूट पड़ती है। हमारे पुराणों की कहानियां भी जीवन के इन्हीं रंगो से गढ़ी गई हैं। इन कस्से-कहानियों में लोक मान्यताएं और कल्याणकारी संदेश भरे पड़े है।


पौराणिक मान्यताओं की नजर से होली का त्योहार एक ऐसे किस्से के मद्दे नजर मनाया जाता है जहां अटूट श्रद्धा पवित्र भक्ति बुराई का अंत और अच्छाई की जीत है। होली में जितनी मस्ती और धूम मचती है। उतनी तो किसी त्योहार में देखी भी नहीं जाती...इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल कर एक दूसरे से गले मिलते हैं और गुलाल लगाते हैं। इस दिन हर उम्र के लोगों के लिए उल्लास का माहौल होता है।होली के दिन दिल खिल जाते हैं, रंगों में रंग मिल जाते हैं...ऐसा सिर्फ देश में नहीं, बल्कि विदेशों में भी होता है। दरअसल, जहां भी भारतीय मूल के लोग हैं, वहां यहां की परम्परा फलती-फूलती ही है। और, फिर होली तो ऐसी मस्ती भरा त्योहार है कि इसमें विदेशी मन भी देसी रंग में नहाने के लिए तैयार हो जाता है।
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