पिछले लोक सभा चुनाव में जिस तरह से बीजेपी ने नारा दिया था, और उस नारे ने आम जनमानस के ऊपर जो छाप छोड़ा उससे ही बीजेपी पूर्ण बहूमत में आ सकी। लोगों के सामने उन्होंने 'सबका साथ और सबका विकास' की बातें की। साथ ही 'अच्छे दिन' आने के सपने दिखाए। अगर कसौटी पर देखे तो सरकार के दो साल पूरे होने बाद ये सपने आम लोगों को सच होते दिख भी रहा है।
पिछले दो सालों में मोदी सरकार ने जिस प्रकार से कई योजनाएं चलाई है। वह सरकार के मजबूत इरादे को दिखाती है। मोदी सरकार ने 'बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ', 'स्वच्छ भारत', 'मेक इन इंडिया', 'डिजिटल इंडिया' और 'सबका साथ-सबका विकास' जैसे नारों को लोकप्रिय बनाया। हमें देश को इन भावनाओं से जोड़ने की जरूरत है और इन बातों में नारों की भूमिका होती है। गांधी से लेकर माओ-रसे-तुंग ने अतीत में नारों की मदद से ही अपने सामूहिक अभियान छेड़े थे। पर नारों को जमीन पर व्यावहारिक रूप से उतरना भी चाहिए।
जो मोदी सरकार कर भी रही है। कुर्सी संभालने के दो ढाई महीने बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब न्यूयॉर्क के जानेमाने मैडिसन स्कवेयर गार्डन पहुंचे तो शहर में मोदी-मोदी के नारे गूंज रहे थे। टाइम्स स्कवेयर की विशाल टीवी स्क्रीन पर उनकी तस्वीरें दिखाई जा रही थीं और शहर का ट्रैफिक मानो हिलने का नाम नहीं ले रहा था। उनकी जीत के फौरन बाद वाशिंगटन पोस्ट ने मुख्य संपादकीय में उनकी एक बड़ी सी तस्वीर प्रकाशित की थी और उसमें सवाल था, मोदी भारत में चीन जैसी तरक्की का महत्वाकांक्षी सपना दिखा रहे हैं। मोदी सरकार बनने के बाद केन्द्र सरकार के सचिवालय में काम बढ़ा है।
तमाम मंत्री अपना पूरा समय दफ्तरों में लगा रहे हैं। विदेश, बिजली, रेलवे, रक्षा, विदेश व्यापार, उद्योग, परिवहन और इसी तरह के कुछ दूसरे मंत्रालयों में काफी अच्छा काम हुआ है। बड़े नीतिगत बदलाव भी हुए हैं। संयोग से वैश्विक अर्थ-व्यवस्था के लिए खराब समय चल रहा है। इसलिए सबसे बड़ी चुनौती वित्त मंत्रालय के सामने है। आर्थिक उदारीकरण का काम धीमी गति से चल रहा है। यह गति यूपीए के शासन में भी धीमी थी।
मोदी सरकार और उससे पहले मनमोहन सरकार की कोशिश देश में पूँजी निवेश के माहौल को बेहतर बनाने की थी। मनमोहन सरकार को भी बीजेपी के अलावा अपनी ही पार्टी के विरोध का सामना करना होता था। बावजूद इन बातों के स्थितियाँ बेहतर होती जा रही हैं। राष्ट्र सर्वप्रथम के मार्ग पर चलते हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शपथ लेते ही अपने इरादे जता दिए थे कि वे 'गुजरात के विकास मौडल' को संपूर्ण भारत का मौडल बनाकर देश को आगे ले जाना चाहते है।