Thursday, 14 February 2019

महारास की अद्भुत बेला में प्रेम संकरी गलियों और नाजुक राहों से गुजरता हुआ प्रेम आज ग्लोबलाइज्ड हो गया है। वैश्विक गांव में मॉडर्न हो गया है। बेबाक हो गया है। किसिंग, चैटिंग, डेटिंग हो गया है। वैलेंटाइन्स डे उसका हो गया है जो सेटल हो गया है। प्रेम माह का गुलाबी रंग लाल गुलाब की पंखुड़ियों में समाता है और इजहार-ए-मोहब्बत बन खिल जाता है। लेकिन सबका नहीं, मौसम की चुहल टेडी-बियर के नटखटपने में घुल-मिल जाती है। प्रेम पगी फिजाओं की मिठास चॉकलेट-कैंडियों में समा गई है। ऋतुराज की खुमारी (मनोज) और नशा युवा दिलों को मदहोश किये देता है। प्रेम सुबास बिखेरे तो प्रेम है। प्रेम चाहना नहीं। न्योछावर हो जाना है। लेकिन उनकी जो एक दूजे के पूरे है। हम कैसे कहें यह सबका है, सबके लिए है और उल्लास से भरा है। 

इसे बदरंग और बाजारू बनने से बचाना है और बचना है। लेकिन उनका क्या होगा जैसे दिवाली की जगमगाती रात में फुटपाथ पर टहलते फटे-चीथड़े हाल पेट पर हाथ मलते वो बच्चे जो दिवाली का त्योहार नहीं बल्कि रोटी तलाश रहे होते हैं। ये तो सच है कि वे भूखे होते हैं जैसे दिवाली किसी की नसीब में खुशी का उत्सव व किसी की नसीब में गम लेकर आती है। ठीक वैसे हम आज इस पावन सुहाने वैलेंटाइन्स डे को अंतस में भरें तो उसी पेट पर हाथ मलते हुए बच्चे की तरह करुणा, दुःख, दर्द, पीड़ा समेटे यह दिन माघ की स्याह रात की तरह मानो किसी नंगे भिक्षुक के ऊपर से गुजर जता है और हम अपने अंतस में किसी भूखे पेट बच्चे की रोटी किसी अधनंगे बेसहारा मांगने वाले की तरह दिल फैलाये इन कयामत भरी इतराने वाली हुस्न की कलियों से भीख मांग रहे होते हैं।

फिर भी हैं तो ऐसी की मिजाज का पता ही नहीं खैर कोई बात नहीं बाबा तुलसी ने ठीक ही कहा है कि ''सकल पदार्थ है  जग माही कर्म हीन नर पावत नाहीं" दुनिया में सारी चीजें भरी पड़ी है लेकिन वो सभी के लिए नहीं है। वही पाता है जिसके भाग्य में होता है। मेरी तरह आज कई ऐसे नौजवान लड़के सागर जैसा दिल खाली किये अपनी दिल रुबा की याद में तड़प रहे होते है और कुछ तो वातावरण में बह रही मलयवाही हवाओं के बीच बंसंत के पावन महक में अपना मधुमास मना रहे होते हैं। ये दर्द हमारे अकेले का नहीं है मैं अपनी ओर से आप सबकी पीढ़ा गाने की हिम्मत कर रहा हूं। 

आभार

Monday, 4 February 2019

Posted by Gautam singh Posted on 03:11 | No comments

मैं रोज सोचता हूं

मैं रोज सोचता हूं एक दफा तुम्हारा शहर आकर घूम आऊं पर यह सोच बस एक ख्वाब बन कर ही रह जाता है। जब से तुम यह शहर छोड़ कर गयी हो तब से मैंने अपने ख्यालों की दुनया में एक नया शहर बसा लिया है। लेकिन फिर भी मन अक्सर तुम्हारे शहर को लेकर सपना बुनते रहता है। वही शहर जिसके नाम से ही मेरे अंदर आग की लपटे उठने लगती है फिर भी न जाने क्यों एक बार तुम्हारे शहर में जाकर तुम्हे देखने की आस लिये बैठा हूं। मैं जानता हूं तुम मुझे भूल गई होगी लेकिन फिर भी मैं जाना चाहता हूं। क्यों जाना चाहता हूं पता नहीं...


मुझे याद है जब तुम मेरे शहर को छोड़कर जा रही थी उस दिन तुम ट्रेन की विंडो़ वाली सीट पर बैठ कर मुझे नहीं सूरज को निहार रही थी जैसे मेरा तुमसे कोई वास्ता ही नहीं, तुम जानती हो ना उस दिन मेरे ऊपर क्या बीत रहा था... ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे सारी दुनिया खामोश हो गयी हो, नदियों की कलरव ले लेकर पत्तियों की चरमराहट तक पंक्षी की चहचहाहट से लेकर हवाओं की सरसराहट तक सब खामोश हो गया था। बस एक मैं ही तुम्हें निहार रहा था। तुम्हें जाते देख रहा था और तुम मुझसे मुह मोड़ कर सूर्य को देख रही थी। मुझे क्यों लगता है जब तुम अपना शहर पहुंची होगी तो सबसे पहले तुम्हें मेरी याद आयी होगी। 

तुम जानती हो तुम्हारे जाने के बाद मैंने अपने ख्यालों में तुम्हारे घर की ओर जाने वाली सड़क के बारे में भी सोचता था। मुझे लगता तुम अपने शहर में एक ऑटों की होगी उस पर सवार हो कर अपने घर को गई होगी वही घर जिसके दिवारें लाल रंग से रंगी हुई है। तुमने फिर उस दिवारों पर कॉलेज के दोस्तों के साथ-साथ उस शहर से जुड़ी कई तस्वीरों को अपने आंखों के सामने लगाया होगा उसी तस्वीरों में कहीं मेरी भी तस्वरीर होगी। हकीकत में जिसे तुम पीछे छोड़ आयी हो। तुम जानती हो अब बस तुम्हारे शहर के नाम के अलावे और कुछ याद नहीं रहता मुझे...


आज मैं उसी शहर में आ गया हूं जिस शहर से मुझे जलन हुआ करती थी, अब तुम्हारे चाह में मोहब्बत होने लगी है। वही शहर जिसने मुझे तुमसे दूर किया। आज वही शहर ने न जाने कितनी यादें दे रहा है मुझे। जो शायद मुझे कभी अपने शहर से नहीं मिला। तुम्हारे सारे ख्याल जो मैंने बहुत पहले सोचे थे, आज भले ही टूट गये हो। लेकिन मैं खूश हूं क्योंकि मैं अब भी उस लड़की के बारे में ही सोच रहा हूं। जो पहले रंगीन दिवारों वाले कमरे में रहती थी आज सफेद दीवारों वाले कमरे में रहने लगी है पर उस कमरे में बहुत कुछ पुरानी यादें हैं। मेरे शहर की सारी तस्वीरों के साथ-साथ एक मेरी तस्वीर जिसे उसने सारी तस्वीरों के बीच में लगा रखा है। वो अब नये ख्यालों में रहती है, नया शहर, नया जॉब नये दोस्त, घर पुराना लेकिन पेन्ट नया और उन सबके बीच में आज भी वह अपने पुराने प्यार से बेपनाह प्यार करती है...