Monday 4 February 2019

Posted by Gautam singh Posted on 03:11 | No comments

मैं रोज सोचता हूं

मैं रोज सोचता हूं एक दफा तुम्हारा शहर आकर घूम आऊं पर यह सोच बस एक ख्वाब बन कर ही रह जाता है। जब से तुम यह शहर छोड़ कर गयी हो तब से मैंने अपने ख्यालों की दुनया में एक नया शहर बसा लिया है। लेकिन फिर भी मन अक्सर तुम्हारे शहर को लेकर सपना बुनते रहता है। वही शहर जिसके नाम से ही मेरे अंदर आग की लपटे उठने लगती है फिर भी न जाने क्यों एक बार तुम्हारे शहर में जाकर तुम्हे देखने की आस लिये बैठा हूं। मैं जानता हूं तुम मुझे भूल गई होगी लेकिन फिर भी मैं जाना चाहता हूं। क्यों जाना चाहता हूं पता नहीं...


मुझे याद है जब तुम मेरे शहर को छोड़कर जा रही थी उस दिन तुम ट्रेन की विंडो़ वाली सीट पर बैठ कर मुझे नहीं सूरज को निहार रही थी जैसे मेरा तुमसे कोई वास्ता ही नहीं, तुम जानती हो ना उस दिन मेरे ऊपर क्या बीत रहा था... ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे सारी दुनिया खामोश हो गयी हो, नदियों की कलरव ले लेकर पत्तियों की चरमराहट तक पंक्षी की चहचहाहट से लेकर हवाओं की सरसराहट तक सब खामोश हो गया था। बस एक मैं ही तुम्हें निहार रहा था। तुम्हें जाते देख रहा था और तुम मुझसे मुह मोड़ कर सूर्य को देख रही थी। मुझे क्यों लगता है जब तुम अपना शहर पहुंची होगी तो सबसे पहले तुम्हें मेरी याद आयी होगी। 

तुम जानती हो तुम्हारे जाने के बाद मैंने अपने ख्यालों में तुम्हारे घर की ओर जाने वाली सड़क के बारे में भी सोचता था। मुझे लगता तुम अपने शहर में एक ऑटों की होगी उस पर सवार हो कर अपने घर को गई होगी वही घर जिसके दिवारें लाल रंग से रंगी हुई है। तुमने फिर उस दिवारों पर कॉलेज के दोस्तों के साथ-साथ उस शहर से जुड़ी कई तस्वीरों को अपने आंखों के सामने लगाया होगा उसी तस्वीरों में कहीं मेरी भी तस्वरीर होगी। हकीकत में जिसे तुम पीछे छोड़ आयी हो। तुम जानती हो अब बस तुम्हारे शहर के नाम के अलावे और कुछ याद नहीं रहता मुझे...


आज मैं उसी शहर में आ गया हूं जिस शहर से मुझे जलन हुआ करती थी, अब तुम्हारे चाह में मोहब्बत होने लगी है। वही शहर जिसने मुझे तुमसे दूर किया। आज वही शहर ने न जाने कितनी यादें दे रहा है मुझे। जो शायद मुझे कभी अपने शहर से नहीं मिला। तुम्हारे सारे ख्याल जो मैंने बहुत पहले सोचे थे, आज भले ही टूट गये हो। लेकिन मैं खूश हूं क्योंकि मैं अब भी उस लड़की के बारे में ही सोच रहा हूं। जो पहले रंगीन दिवारों वाले कमरे में रहती थी आज सफेद दीवारों वाले कमरे में रहने लगी है पर उस कमरे में बहुत कुछ पुरानी यादें हैं। मेरे शहर की सारी तस्वीरों के साथ-साथ एक मेरी तस्वीर जिसे उसने सारी तस्वीरों के बीच में लगा रखा है। वो अब नये ख्यालों में रहती है, नया शहर, नया जॉब नये दोस्त, घर पुराना लेकिन पेन्ट नया और उन सबके बीच में आज भी वह अपने पुराने प्यार से बेपनाह प्यार करती है... 
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