Monday 19 July 2021

 छुप गए सारे नजारे ओए क्या बात हो गई.... तुमने काजल लगाया दिन में रात हो गई... वो दौर जब राजेश खन्ना और मुमताज के अभिनय में फिल्माया गया यह गीत जब सिनेमा के पर्दों पर उकेरा गया तो कितने लड़के लड़कियों ने अपनी होली दिवाली ईद वैलेण्टाइन वगैरा सबकुछ एक साथ मना लिया.... बड़ी कमनीयता से नृत्य करती हुई मुमताज जब पर्दे पर आईं तो थियेटर में तालियों की घनघोर गड़गड़ाहट के साथ ऐसा महसूस हुआ मानो स्वर्ग की व्याख्या में बताया जाने वाला रंगमंच धरती पर उतर आया हो.... ये कोई कथानक कहानी किस्से नहीं बल्कि लोगों में राजेश खन्ना के एक लम्हे को पा जाने की हकीकत रही... उसी दौरान वो दौर शुरू हुआ जब लड़कियां राजेश खन्ना की गीड़ी की धूल से अपनी मांग भरने लगीं... इसी दौर में जब उनकी सफेद गाड़ी बाहर कहीं जाती तो लड़कियों के अनगिनत चुम्बनों से लाल होकर वापस आती थी.... तब प्रेम बड़ा साश्वर नजर आने लगा... राजेश खन्ना सही मायने में भारतीय फिल्म उद्योग के पहले सुपर स्टार थे... उनके बाल रखने का स्टाइल, या गुरू कॉलर वाली शर्ट पहनने का तरीका हो, या गर्दन झुकाकर नैनों के तीर से जां निकाल लेने की अदा हो... उनके द्वारा की जाने वाली अदा बहुत कातिल थी.... जिसने सिनेमा प्रेमियों के साथ साथ पूरी पीढ़ी को अपने वशीभूत कर रखा था.... उनके सम्मोहन के अनगिनत किस्से सामने आए... जिसमें बंगाल की एक बुजुर्ग महिला की बहुत शुमार है... जब वे ब्यूटी पार्लर जाकर, मेकप करके और अच्छे कपड़े पहनकर फिल्म देखने जाया करती थीं... उन्हें ऐसा लगता था... कि राजेश खन्ना पर्दे की तरफ से पलकें झपका रहे हैं... या सिर झटक रहे हैं... या मुस्करा रहे हैं... तो सिर्फ उनके लिये कर रहे हैं राजेश खन्ना की उन अदाओं को देखने के लिये उनकी बाकायदा डेट हुआ करती थी... उन्हीं को नहीं तब ऐसा हर लड़की को महसूस होता था... 



तब राजेश खन्ना के गुस्से और लेटलतीफी के किस्से भी बहुत मशहूर हुआ करते थे... जिमी सिप्पी साहब ने उन्हें एक फिल्म राज जिसमें उनका डबल रोल था... जिसमें उन्हें सूटिंग के लिये सुबह आठ बजे बुलाया गया था...लेकिन ये आदत के मुताबिक 11 बजे बहुंचे... सब लोग सोच रहे थे कि ये तो नया लड़का है... इसका पहला शूट है... ये ऐसा कैसे कर सकता है... कुछ लोगों ने उन्हें घूरकर देखा भी इसके लिए सीनियर टेक्नीशियन्स ने उन्हें थोड़ा डांट भी लगाई... तब उन्होने कहा था देखिए एक्टिंग और करियर की ऐसी की तैसी मैं किसी भी चीज के लिये अपना लाइफ स्टाइल नहीं बदलूंगा... तो सब खामोश हो गए... फिलहाल इस तेवर के साथ दो ही चीजें होती हैं... या तो आदमी बहुत ऊपर चला जाता है... या बहुत नीचे... फिल्म आराधना ने राजेश खन्ना को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दी... इस फिल्म का मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू ये गाना... हर राजकुमार अपनी अपनी राजकुमारी के लिये अकेले में बहुत जोर से गाया करता था.... इस फिल्म में राजेश खन्ना शर्मिला टैगोर के पति बने हुए थे... इसके बाद लोग उन्हें ढ़ूंढ़ते रहे और उनकी पूंछ बहुत ज्यादा बढ़ गई थी... साथ ही राजेश खन्ना की कामयाबी का सिलसिला शुरू हुआ और वह बढ़ता ही चला गया... इस दौरान उन्होने लगातार 13-14 हिट फिल्में दी जिसकी मिशाल आजतक नहीं मिलती... उनकी हर फिल्म जुबली हिट और ब्लॉक बस्टर रही.... उस दौर में अजीब हालत थी कि छे सात महीनें सिर्फ राजेश खन्ना की ही फिल्में देखीं जा रही थी... मशहूर फिल्म लेखक सलमान खान के पिता सलीम खान ने कहा किसी अभिनेता के लिये ऐसी दीवानगी उन्होने तब से लेकर आजतक नहीं देखी.... बताया जाता है कि उनकी मुस्कान बहुत कातिल थी जो लड़कियों कि दिल में घर कर जाती थी... अस्सी के दशक में अमिताब बच्चन से भी ज्यादा राजेश खन्ना का ज्यादा क्रेज था... उन दिनों अमिताभ का दौर शुरू हो चुका था... एक शादी पार्टी में बहुत चोटी के स्टार पहुंचे थे... जिसमें राजन्द्र कुमार धर्मेंद्र राज कपूर समेत कई दिग्गज कलाकार शामिल थे लेकिन जैसे ही राजेश खन्ना की एंट्री हुई... ये नजारा देखकर सबके रोंगटे खड़े हो गए... और सारे मीडिया के कैमरे उनकी तरफ घूम गए... उस शादी में करीब 500 से ज्यादा लोग रहे होंगे... 



लेकिन सब के सब राजेश खन्ना के पीछे चल रहे थे.... राजेश खन्ना पर तो बहुत सारी लड़कियां मरा करती थीं... लेकिन उनका दिल जीतने में अंजू महेंद्रू कामयाब रहीं... अंजू उनकी जिंदगी में तब से थीं... जब से वो स्ट्रगल कर रहे थे... उस दौरान उन्होने उनका बड़ा साथ दिया... अंजू ने भी काफी स्ट्रगल किया लेकिन वे उतना कामयाब नहीं हो पाईं...स्टार बन जाने के बाद राजेश अक्सर अंजू के घर जाया करते थे... अजू ने कहा था कि राजेश खन्ना चाहते थे... कि अंजू भी उनके स्टारडम को महसूस करें लेकिन अंजू के लिए वह मुमकिन नहीं था... इसके अलावा उन्हें तारीफ करने वाले लोगों की जरूरत थी... वे उन्हीं लोगों से घिरे रहना ज्यादा पसन्द करते थे.... जो उनकी तारीफें किया करते थे... इस वजह से वे अंजू को कम वक्त देने लगे और दोनों के रिश्तों के बीच दरार आनी शुरू हो गई.... इसके कुछ दिनों बाद राजेश खन्ना की जिंदगी में डिंपल कपाड़िया की एंट्री हुई... वो वो उम्र में बहुत छोटी थी.... तीन चार दिनों के भीतर उन्होंने शादी करने का फ़ैसला किया. ये अंजू को बहुत बाद में पता चला... दुनिया का हर अच्छा सिलसिला हमेशा के लिए वैसा नहीं रहता. राजेश खन्ना के साथ भी ऐसा ही हुआ. जिसके बारे में कहा गया कि वो कामयाबी को ढंग से हैंडल नहीं कर पाए... इसके बाद एंग्री यंग मैन की एंट्री के साथ रोमांटिक फ़िल्मों का युग पुराना लगने लगा.... अब रोमांस एक्सन की तरफ जाने लगे थे... उसी ज़माने में ज़ंजीर आ गई. फिर शोले और दीवार आ गई. इस तरह ग़ुस्से वाले कैरेक्टर खड़े होने लगे....




राजेश खन्ना मूल रूप से रोमांटिक स्टार थे." उन्होंने अस्सी के दशक में कुछ एक्शन फ़िल्में की लेकिन उनमें वो कभी स्वाभाविक नहीं लगे. अचानक फ़िल्मों का ट्रेंड बदला और वो डिप्रेशन में आ गए. फ़िल्म 'नमकहराम' से इसकी शुरुआत हुई. जब 'नमकहराम' साइन की गई थी तो राजेश खन्ना सुपर स्टार थे और अमिताभ बच्चन उतने बड़े स्टार नहीं थे." राजेश खन्ना ने कुछ ऐसी फ़िल्मों में काम किया जिन्होंने उनके करियर को बहुत नुकसान पहुंचाया. "तब मुंबई की बाल काटने वालों की दुकान पर दिलीप कुमार कट और देवानंद कट के बोर्ड लगा करते थे. इस दौरान मुंबई बार्बर्स एसोसिएशन ने एक नया बोर्ड बनवाया जिसमें दो नई एंट्रीज़ की गई, जिसमें लिखा था राजेश खन्ना हेयर कट- 2 रुपए और अमिताभ बच्चन हेयर कट- साढ़े तीन रुपए. इससे भी राजेश खन्ना आहत हुए..." कई फ़्लॉप फ़िल्मों के बाद राजेश खन्ना ने फ़िल्म 'सौतन' में कमबैक किया और एक बार लगा कि पुराने राजेश खन्ना वापस आ गए हैं. उस फ़िल्म के उस फ़िल्म की शूटिंग के दौरान ही राजेश खन्ना का टीना मुनीम से रोमांस शुरू हुआ था इस शूटिंग के दौरान "डिम्पल मॉरिशस गईं थीं. जब उन्होंने अपनी आँखों से देखा कि राजेश टीना मुनीम के बहुत नज़दीक जा रहे हैं तो वो वापस मुंबई चली गईं. एक दिन राजेश खन्ना शूटिंग से वापस आए तो वो उन्हें डिंपी, डिंपी, डिंपी कह कर ढ़ूढ़ रहे थे... लेकिन उन्हें डिंपल कहीं नहीं मिलीं.... बहुत खोजबीन करने के बाद जब ड्रेसिंग टेबल के शीशे पर देखा तो  उस पर लिखा था 'आई लव यू, गुड बाय.... बाद में पता चला कि डिम्पल जहाज़ से वापस मुंबई चली गई थीं. वो पहले की तरह टीना मुनीम के साथ शूटिंग करते रहे. उसके बाद डिम्पल उनके घर आशीर्वाद में कभी नहीं लौटीं.... वे अपनी जिंदगी के आखिरी क्षणों में बहुत अकेले पन से जूझ रहे थे... उन्हें कैंसर ने अपने आगोश में जकड़ लिया था...  उनका ये किस्सा बहुत प्रचलित हुआ... बाबू मोशाय! जिंदगी बड़ी होनी चाहिए, लंबी नहीं.... "अरे ओ बाबू मोशाय! हम तो रंगमंच की कठपुतलियां हैं जिसकी डोर उस ऊपर वाले के हाथों में हैं, कब, कौन, कहां उठेगा ये कोई नहीं जनता।"


आनंद मरा नहीं, आनंद कभी मरते नहीं। ये संवाद दरअसल दर्शन है जीवन का। एवरग्रीन एक्टर 'राजेश खन्ना' उर्फ काका उनका जीवन रंगमंच जैसा ही रहा। सितारों की ज़िन्दगी में जब तक तालियों की गढ़गढ़ाहट शामिल होती है तब तक उन्हें कुछ नहीं सूझता, लेकिन जब ये तालियों का शोर धीमा पड़ने लगता है तो मानो उनका सबकुछ लुट चुका हो... उनके ये डॉयलोक अक्सर उनकी दर्दबयानी किया करते थे.... "इज्जते, शोहरते, उल्फते, चाहते सबकुछ इस दुनिया में रहता नहीं आज मैं हूं जहां कल कोई औऱ था। ये भी एक दौर है वह भा एक दौर था।" जब तक स्टेज सजा था तब तक लोगों की भीड़ भी लगी हुई थी, जैसे ही मज़मा ख़त्म हुआ, काका अकेले रह गए... आखिरी दिनों में एक दिन काका ने कहा टाइम अप होगया पैक अप....अब काका नहीं रहे.... राजेश खन्ना ही सिर्फ ऐसे अदाकार थे जिन्हें 'सुपरस्टार' का ख़िताब मिला...  काका भले ही ना हो लेकिन फ़िल्मों में निभाए गए अपने किरदारों से वह हमेशा अपने चाहने वालों के बीच बने रहेंगे... वैसे भी आनंदमरा नहीं करते! वह तो उदासी में जीवन को अर्थ देते हैं। राजेश खन्ना की जीवन लीला 29 दिसम्बर 1942 को शुरू हुई और तमाम उतार चढ़ाव के थपेड़ों और झकोरों को झेलते हुए 18 जुलाई साल दो हजार बारह समाप्त हो गई... उनकी मौत के बाद टैक्स प्रॉब्लम के चलते इनकम टैक्स विभाग ने उनका बंगला सील कर दिया था... इसलिये वो अपनी ऑफिस में रहते थे... जिसकी बगल में एक मेकडॉनल्ड रेस्तरां हुआ करता था... वो वहां जाते थे... एक बर्गर खाते थे और स्ट्रॉबेरी मिल्क शेक पिया करते थे...जो उनका बहुत फेवरेट हुआ करता था.... कई शाम तो वो अकेले इंतजार कर बहुत परेशान हो जाते थे... कि कोई आए और उन्हें पहचान ले... लेकिन ऐसा कभी कभी होता था... जब कोई पुराना फैन वहां आकर उन्हें पहचान लेता था तो वे बहुत खुश हो जाते थे.... 

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