Monday 24 July 2017


'म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के' फिल्म दंगल में अमीर खान के मुह से यह पंक्तियां सुने हमें अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं। खेल कुश्ती भी है और क्रिकेट भी लेकिन बात यह है जब यह खेल लड़के खेलें तो ठीक है लडकियां इस खेल से दूर ही रहती हैं, लेकिन मिताली और उनके टीम भले ही महिला क्रिकेट विश्व पक हार गई हो वह दुनिया के सामने एक खुले मैंदान की जाबांज खिलाड़ी है। वह सब जानती है कि हार-जीत के बीच जो कॉमन चीज है खूल को पसीने में बदल देने की तरलता। वह लोग जानती है कि दोनों टीमों के खिलाडियों ने न जाने कितनी हजारों जाते कुंहासे से भरी सुबह इसके लिए झोंक दिया है।मिताली और उनके टीम ने मेहनत के बल पर जो खूबसूरत कहानी का निर्माण किया है।

उस पर 125 करोड़ देशवासियों को गर्व है। तुमने अपने बल पर ही आज अपना तुलना सचिन, कोहली, धोनी से करने पर विवश किया है। आज तुम्हें सम्मान दे रहे हैं कल अवश्य ही वो तुम्हें भूल जाएंगे। मिताली तुमलोगों अपनी मेहनत के बल पर एक बहुत खूबसूरत कहानी का निर्माण किया है। उसे सहेजना हमलोंगो कि जिम्मेदारी है। तुम आज वहां विदेश में तिरंगे का मान बढ़ा रही हो, मगर हमारे समाज की सच्चाई यही है कि भले ही वो तुमको देखकर क्षण भर के लिए खुश हो ले, मगर वो यही चाहता है कि उसके आस पास की औरतें वो करें, जो वो बरसों से करती चली आ रही है। विश्वास करना मेरा, एक महिला को गुलामी की जंजीरों में जकड़ने वाला ये समाज कभी नहीं चाहेगा कि बगावत करके उनके घर की लड़कियां, बहू, बेटियां तुम्हारे बताए हुए रास्ते पर चलने का प्रयास करें।
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