Wednesday 10 December 2014

देश की राजधानी दिल्ली के सड़को पर एक बार फिर निर्भया कांड दोहराया जा चुका है। निर्भया गैंगरेप कांड में जो गुस्सा बलात्कार के आरोपियों के खिलाफ दिखा था। कुछ वैसा ही गुस्सा अब आरोपी कैब ड्राइवर और कैब सर्विस प्रोवाइडर कंपनी ऊबर के खिलाफ भी दिख रहा है। निर्भया के मौत के वक्त इसी शहर ने बता दिया था कि अब सारी हदें पार की जा चुकी हैं। वो रात दिन सड़कों पर जम गए। राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री तक दिल्ली के युवाओं से मिलने लगे। लेकिन टैक्सी में हुए कथित बलात्कार कांड ने यह दिखा दिया है कि महिलाओं की सुरक्षा के मामले में स्थिति अब भी जस की तस है। भारत में सार्वजनिक यातायात हमेंशा से उपेक्षा का शिकार रहा है। और यह क्षेत्र ट्रांसपोर्ट माफिया, स्थानीय असामाजिक तत्वों, भ्रष्ट परिवहन अधिकारियों और पुलिस वालों के अधिकार क्षेत्र में रहा है।

कैब सेवा के संचालन के लिए परिवहन विभाग ने कई तरह के नियम तय किए थे, पर इस 'इंटरनैशनल' कैब सर्विस का तो सब कुछ खस्ताहाल था। कैब में जीपीएस नहीं लगा था, जो कि जरूरी कर दिया गया है। आरोपी ड्राइवर ने मोबाइल सिम किसी और के नाम पर ले रखा था और पता भी गलत दिया था। सबसे बड़ी बात यह कि आरोपी पहले भी रेप के मामले में सजा भुगत चुका था, लेकिन कंपनी को इसका पता ही नहीं था। आश्चर्य है कि एक बार सजा भुगतने के बाद भी ड्राइवर ने फिर वही दरिंदगी की। साफ है कि उस पर सिस्टम का जरा भी खौफ नहीं था। होता भी कैसे? इस व्यवस्था ने उसे न सिर्फ बेखौफ होकर घूमने की सहूलियतें दीं बल्कि अच्छे चरित्र का प्रमाणपत्र भी दे डाला।

जहां निर्भया कांड ने यह दिखाया था कि दिल्ली में बस सुविधाओं की क्या स्थिति है और इस ताजा घटना से उन वेब आधारित टैक्सी सुविधाओं का खतरा दिख गया, जिनके बारे में यह नहीं पता है कि वे रेडिया टैक्सी सर्विस हैं या सिर्फ ग्राहकों और टैक्सी चालकों का संपर्क जोड़ने वाली वेब आधारित सुविधाएं हैं। 'निर्भया' कांड के बाद पैट्रोलिंग से लेकर एफआईआर के तौर-तरीकों और ट्रैफिक व्यवस्था तक में फेरबदल किए गए थे। पुलिस की सोच बदलने पर भी खासा जोर दिया गया था। लेकिन यह सब सिर्फ कहने के लिए था। इस पूरे घटनाक्रम में यदि किसी बात को ध्यान में लाने की जरूरत है तो वह है उस युवा महिला की बहादुरी है, जो उन सारे नेताओं की तुलना में महिलाओं की सुरक्षा की सबसे बड़ी पैरोकार बनकर उभरी हैं। जिसने दिल्ली की गलियों से एक दुष्कर्मी को बाहर निकालकर कठघरे तक पहुंचाया है।



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