Monday 2 December 2013

Posted by Gautam singh Posted on 04:48 | No comments

तोमर चाचा

                       

कल शाम को में अपने रुम पर बैठा था। तभी नीचें से जोर-जोर की आवाजे आने लगी। जब मैं नीचें पहुंचा तो देखा की पड़ोस में रहने वाले तोमर चाचा और चाची किसी बात को ले कर आपस में झगड़ रहे है। मैने लड़ाई शांत कराने की तमाम कोशिश की पर सफल हो सका चाचा और चाची की लड़ाई बढ़ती ही जा रही थी। की तभी चाची बोल पडी मैे मायके जा रही हूं।
ये बात सुनते ही मुझे एका-एक बाॅबी फिल्म का वह गाना याद गया जिसमें झुठ बोले कौआ काटे नामक लोकगीत में नायिका करीब-करीब सातों वचनों को निभाने पर जोर देते हुए कहती है। कि वह मायके चली जाएगी और नायक देखता रह जाएगा।
पर मैं आज तक यह समझ नहीं पाया हुं कि भारतीय पत्नियां अपने पति से जरा-जरा सा मतभेद होने पर मायके जाने की क्यों बात करती है। वह हर बात पर धमकी देती है कि वह मायके चली जाएगी। पर मैनें फिल्मों से लेकर समाज में जो देखा और समझा है। उसमें मैने पाया है, की भले ही पति पत्नि के बीच कितनी भी लड़ाई क्यों हो जाए पति उसे कितना भी क्यों पिटे पर वह मायके जाने कि बात नहीं करती। वह पति को उल्टे बोलती है कि पालकी में आई हूं और अर्थी पर ही जाउगीं।

लेकिन आज की पत्नियां ऐसा बिल्कुल नहीं चाहती। उनके सौंपिग के लिए पैसे कम नहीं होना चाहिए। बगल वाले शर्मा जी के घर में कौन सी टीवी कौन सा फ्रीज आया है। इन्हें भी वहीं चाहिए। आप भले ही दिन रात चूले में जल कर काम क्यों करे। उनसे उनको कोई मतलब नहीं, उनका तो बस फरमाईस पूरा होना चाहिए। नहीं तो बात-बात पर मायके जाने को तैयार हो जाती है। दरअसल वह चाहती है। की जब वह मायके जाने की बात अपने पति के सामने करेगी तो उसका पति उसे रोकने का हर तरीब अपनाएगा, और मनाएगा।
पर अफसोस आज के पति अपने पत्नियों से ऐसा कोई हमदर्दी नहीं रखना चाहते अगर पत्नि कहती हैकी मैं मायके चली जाउगी तो पति कहता है। तुम कब जा रही हो अभी रिजर्वेशन करा दूं। ताकि मैं चैन से जी पाऊ।
                      


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